महंत नरेन्द्र गिरी का सनातन धर्म और राजनीतिक गलियारों से रहा जुड़ाव
महंत नरेन्द्र गिरी का सनातन धर्म और राजनीतिक गलियारों से रहा जुड़ाव
प्रयागराज, 21 सितम्बर । अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के निधन से हर कोई स्तब्ध है। वह प्रयागराज के अल्लापुर स्थित बाघम्बरी गद्दी मठ के महंत और त्रिवेणी संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के प्रमुख व्यवस्थापक थे। सनातन धर्म से लगाव और राजनीतिक गलियारों से जुड़ाव के चलते नरेंद्र गिरि समय-समय पर दिए गए अपने बयानों से सुर्खियों में रहे हैं।
बंधवा वाले लेटे हनुमान मंदिर और बाघम्बरी मठ के पूर्व संचालक के स्वर्गवास के बाद मठ की जिम्मेदारी नरेंद्र गिरी को मिली थी। नरेंद्र गिरि ने सनातन धर्म और संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य शुरू किया। उनका धर्म के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों से भी नाता रहा है। सनातन धर्म की रक्षा के लिए सभी अखाड़ों ने मार्च 2015 में इन्हें सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष तथा जूना अखाड़े के महंत हरि गिरी को परिषद का महामंत्री चुना गया था। काशी में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के चुनाव में मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरी को दूसरी बार अखाड़े का सचिव नियुक्त किया गया था।
उन्होंने प्रयागराज में हर वर्ष आयोजित होने वाले माघ मेले, अर्धकुंभ और कुंभ मेले में देश-विदेश से आए हुए साधु-संतों का कुशल नेतृत्व किया। कुंभ के आयोजन से पूर्व अखाड़ा परिषद के सदस्यों के साथ बैठकर इन्होंने दागी संतों को कुंभ मेले में प्रवेश न देने और उन्हें संत समाज से बाहर का रास्ता दिखाने का कार्य किया था।
मुनव्वर सहित तालिबान समर्थकों पर भड़के थे
बीते अगस्त महंत नरेंद्र गिरि ने तालिबान का समर्थन करने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं को देश का गद्दार बताते हुए कहा था कि ऐसे मुस्लिम धर्मगुरुओं के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर उन्हें तत्काल जेल में डाल देना चाहिए। शायर मुनव्वर राना द्वारा तालिबान का समर्थन किए जाने पर उन्होंने कहा था कि वे लगातार भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि भारतीय संविधान और भारत के लोगों पर उनका भरोसा नहीं रह गया है। उन्हें भारत छोड़कर तालिबान चले जाना चाहिए।
सिपाही के सम्पत्ति की जांच की मांग
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की सुरक्षा में लगे सिपाही अजय कुमार सिंह की आय से अधिक सम्पत्ति मामले की शिकायत सोशल एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने लोकायुक्त से शिकायत की थी।कौशाम्बी जनपद से संबद्ध और पूर्व में पुलिस लाइन्स, प्रयागराज में तैनात रहे सिपाही अजय कुमार सिंह के खिलाफ शिकायत में बताया गया है कि सिपाही अजय सिंह के पास करोड़ों रुपये की सम्पत्ति है। फार्च्यूनर 4.2 वाहन संख्या यूपी 70 सीई 3440, एक आल्टो कार व एक नई बुलेट मोटर साइकिल है।
पत्नी के नाम प्रयागराज में दो फ्लैट
अजय कुमार सिंह की पत्नी के नाम प्रयागराज में 5 अक्टूबर 2019 को 39 लाख 22 हजार तथा 10 अप्रैल 2014 को 22 लाख मूल्य के दो फ्लैट खरीदे गए हैं। इसके अलावा उसने गांव में करोड़ों रुपये का मकान, प्रयागराज के नारीबारी में करोड़ों रुपये की जमीन खरीदी है। उसने फ्लैट में भी लाखों रुपये का काम करवाया है।
धनाड्यों जैसा है सिपाही का रहन-सहन
शिकायत में कहा गया है कि उसका लिविंग स्टैंडर्ड किसी बड़े धनाढ्य से कम नहीं है। एक सिपाही का जितना वेतन होता है, उसमें यह सब कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में उसकी सम्पत्ति की जांच की जानी चाहिए। इस सम्बंध में डीजीपी से लेकर सभी अफसरों से शिकायत की गई पर अब तक कोई कार्रवाई सिपाही के खिलाफ नहीं की गई।
कौशाम्बी पोस्टिंग बताकर प्रयागराज पुलिस ने पल्ला झाड़ा
प्रयागराज पुलिस ने उसकी कौशाम्बी में पोस्टिंग बताकर जांच से पल्ला झाड़ लिया था। अजय सिंह वर्तमान में कौशाम्बी में तैनात हैं तथा महंत नरेन्द्र गिरी के गनर के रूप में नियुक्त है। अतः कौशाम्बी से जांच कराई जानी चाहिए। डॉ. नूतन ठाकुर ने डीजीपी को दोबारा पत्र भेज कर जांच की मांग की पर अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई।
शिष्य आनंद गिरि के बीच भी विवाद काफी पुराना
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच विवाद भी काफी पुराना है। इसकी वजह बाघम्बरी गद्दी की वसीयत है, जो 300 साल पुरानी है और जिसे नरेंद्र गिरि संभाल रहे थे। विगत दिनों आनंद गिरि ने उन पर गद्दी की 8 बीघे जमीन 400 करोड़ में बेचने का आरोप लगाया था, जिसके बाद विवाद गहरा गया था। आनंद ने महंत पर अखाड़े के सचिव की हत्या करवाने का आरोप भी लगाया था।
अखाड़ा परिषद ने किया था हस्तक्षेप
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के हस्तक्षेप के बाद इस विवाद पर फिलहाल विराम लग गया था। अखाड़े और मठ में आनंद गिरि के प्रवेश पर लगाई गई रोक हटा दी गई थी। 14 मई 2021 को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने आनंद गिरि को अखाड़े और बाघंबरी गद्दी से बाहर कर दिया था। नरेंद्र गिरि ने कहा था कि बड़े हनुमान मंदिर पर आने वाले दान-चढ़ावे का धन आनंद गिरि अपने परिवार पर खर्च कर रहे हैं। इसके बाद अखाड़े के पंच परमेश्वरों की सहमति के बाद आनंद गिरि पर यह कार्रवाई की गई थी।
आनंद गिरि ने करोड़ों की जमीन बेचने के लगाए थे आरोप
अखाड़े से बाहर होने के बाद आनंद गिरि ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करके अपने गुरु पर कई गम्भीर आरोप लगाए थे। सबसे गम्भीर आरोप मठ की करोड़ों रुपए की जमीन बेचने का था। आनंद ने कहा था कि उनके गुरु के कई बड़े और मंहगे शौक हैं। इन शौक को पूरा करने के लिए नरेंद्र गिरि मठ के धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। मठ के कई सेवादारों के परिवारों पर भी करोड़ों रुपया खर्च करने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाकर अपनी जान का खतरा बताया था।
अखाड़े के सचिव की मौत को हत्या बता चुके हैं आनंद
कुछ समय पहले आनंद गिरि ने 2019 में निरंजनी अखाड़े के पूर्व सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध हालात में हुई मौत को हत्या करार दिया था। उन्होंने कहा था कि जमीन घोटाला करके अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने ऐसा माहौल बनाया कि महंत आशीष गिरि की लाश कमरे में मिली। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की थी।
पेट्रोल पंप खुलवाने को लेकर भी उठा था मामला
मठ बाघम्बरी गद्दी की जमीन पर आनंद गिरि के नाम से पेट्रोल पम्प खोलने को लेकर विवाद उठा था। आनंद गिरि के नाम से ही 12 सौ वर्ग गज भूमि का एग्रीमेंट किया गया था और एनओसी भी मिल गई थी। नरेंद्र गिरि ने कहा था कि जब इस बात का पता चला कि इस जगह पेट्रोल पम्प नहीं चल पाएगा, तो मैंने निरस्त करा दिया जिससे आनंद नाराज हो गए।
अमर गिरि को दी गई थी मठ-मंदिर की जिम्मेदारी
आनंद गिरि को निष्कासित किए जाने के बाद मठ के प्रबंधन की जिम्मेदारी भी बदल दी गई थी। तब बाघम्बरी गद्दी मठ और संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के प्रबंधन का दायित्व स्वामी अमर गिरि को सौंप दिया गया था। अमर गिरि की देखरेख में बड़े हनुमान मंदिर की समस्त व्यवस्थाएं चल रही थीं।