महाकुम्भ : अखाड़े समेटने लगे अपना सामान, अब दो साल बाद हरिद्धार में होगी मुलाकात

महाकुम्भ : अखाड़े समेटने लगे अपना सामान, अब दो साल बाद हरिद्धार में होगी मुलाकात

महाकुम्भ : अखाड़े समेटने लगे अपना सामान, अब दो साल बाद हरिद्धार में होगी मुलाकात

महाकुम्भ नगर, 05 फरवरी महाकुम्भ मेला में जहां धर्म ध्वज की स्थापना के साथ अखाड़ों के साधु-संत और नागा संन्यासियों ने मेला क्षेत्र में डेरा डाल दिया था। बसंत पंचमी के स्नान के बाद अब धीरे-धीरे अखाड़ों के संत और नागा संन्यासी अपने-अपने डेरों की ओर लौटने की तैयारी में जुट गए हैं। अखाड़ों के अंदर और बाहर शिविर लगाकर रहने वाले कई नागा संन्यासी शिविर छोड़कर जा चुके हैं। अब सभी अखाड़ों की अगली मुलाकात दो साल बाद हरिद्वार अर्द्धकुम्भ में होगी।

अखाड़ों के लौटने की भी है एक परंपरा

अखाड़ों के लौटने की भी एक परंपरा है जिसमें उनके गंतव्य भी निर्धारित हैं। इस बारे में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि, "यह अखाड़ों की परम्परा रही है कि वे प्रयाग कुम्भ का समापन काशी में किया करते हैं और महादेव की नगरी में अमृत स्नान भी करते हैं। अमृत स्नान के बाद अखाड़े के संन्यासी भोले बाबा के दरबार में जाकर उनका दर्शन भी करते हैं। फिर होली पर्व के पांचवें दिन रंगपंचमी को अखाड़े के संन्यासी जमकर होली खेलते हैं उसके बाद ही उनका कुम्भ पर्व समाप्त होता है। इस समय अखाड़े अपना हिसाब-किताब भी करते हैं और नई कमेटी को आय-व्यय को ब्यौरा सौंपते हैं।"

वाराणसी जाने की परंपरा पर उन्होंने कहा, "हम शिव के उपासक हैं। हमारे अखाड़े काशी में स्थापित हैं। भगवान शिव भी काशी में स्थापित हैं. महाकुंभ अभी चल रहा है जिसके बाद काशी जाना है। ऐसा पावन अवसर कहां मिल पाएगा। काशी में हम शिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करेंगे। वहां शिवरात्रि और होली मनाने के बाद हम हरिद्वार जाएंगे। ऐसी ही परंपरा रही है।"

निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत राम रतन गिरी महाराज ने बताया कि, "बसंत पंचमी के अवसर पर यह अंतिम शाही स्नान था। हमारे यहां रोजाना पूजा होती है। पांच पंडित देवताओं की पूजा करते हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य तीन अमृत स्नान थे जो पूरे हो गए हैं। अब हम प्रस्थान करेंगे।"

कढ़ी-पकौड़ी की पंगत के बाद होगी विदाई

अचला सप्तमी के बाद अलग-अलग अखाड़ों में कढ़ी पकौड़ी की परंपरागत पंगत के बाद सभी साधु-महात्मा एक दूसरे से विदा लेकर काशी रवाना हो जाएंगे। सबसे पहले शैव अखाड़े के संन्यासी विदाई लेंगे। उसके बाद अनी एवं उदासीन अखाड़ों के साधु-संत विदा होंगे। हालांकि, अखाड़ों की धर्मध्वजा महाशिवरात्रि के बाद ही छावनी से उतारी जाएगी।

जमीन पर गड़ा चिमटा उखाड़ा

बसंत पंचमी पर तीसरे अमृत स्नान के बाद से नागा संन्यासियों ने अपना समान समेटना शुरू कर दिया। निरंजनी, महानिर्वाणी एवं जूना अखाड़े के बाहरी पटरी पर पिछले तीन हफ्तों से से धूनी रमाए नागा संन्यासी अपना सामान समेटने लगे हैं। धूनी के साथ जमीन पर गड़ा चिमटा उखाड़कर उसे कपड़े से बांध लिया। त्रिशूल एवं तलवार भी बक्से में रख ली। इसी कड़ी में जूना अखाड़े की जगद्गुरु भुवनेश्वरी नंद गिरि महाराज ने अपना शिविर खाली करने के लिए सामान समेट लिया है। निरंजनी अखाड़े सचिव महंत राम रतन गिरि ने बताया, बसंत पंचमी के अवसर पर यह अंतिम शाही स्नान था। इसके बाद हम वाराणसी के लिए प्रस्थान करेंगे।

कढ़ी पकौड़ी की पंगत के बाद ठंडी होगी धूनी

परंपरा के अनुसार, कढ़ी-पकौड़ी की पंगत के बाद नागा संन्यासी धूनी भी ठंडी कर देंगे। पिछले करीब एक माह से श्रद्धालुओं को खुशहाली और समृद्धि का आशीष बांट रहे नागा संन्यासी अब यहां से जाने के लिए ट्रक, ट्रैक्टर एवं वाहनों के बंदोबस्त में लगे हैं। उनका कहना है कि अचला सप्तमी तक अधिकांश संन्यासी यहां से चले जाएंगे। अनी अखाड़े के संन्यासी धूना तपस्या पूरी करके के साथ ही त्रिजटा स्नान को यहां ठहरेंगे। इसके बाद वह भी यहां से रवाना हो जाएंगे।

त्रिजटा स्नान करेंगे वैष्णव संत

वैष्णव परंपरा के संत यहां त्रिजटा स्नान तक ठहरेंगे। निर्वाणी अखाड़े के महंत राजेश दस पहलवान के मुताबिक, माह भर तक स्नान न कर पाने वालों के लिए त्रिजटा स्नान विशेष फलदायी होता है। फाल्गुन मास की तृतीया तिथि पर त्रिजटा स्नान का मुहूर्त माना जाता है। तमाम वैष्णव संत भी इस स्नान के लिए खास तौर से प्रयाग आते हैं। इसके बाद ही उनकी यहां से रवानगी होगी हालांकि मेले का औपचारिक समापन शिवरात्रि के आखिरी स्नान पर्व के बाद होगा।

नये दीक्षित नागाओं को काशी में मिलेगा प्रमाण पत्र

जिन नागाओं की दीक्षा कुम्भ नगरी में हुई है, उनको अखाड़ों का प्रमाण पत्र काशी से मिलेगा। इसके साथ ही नए बने महामंडलेश्वर, महंत समेत रमता पंच के सदस्यों को भी मोहर छाप काशी से ही नई बनवानी पड़ेगी। महाकुम्भ के साथ ही उनके पुराने सभी प्रमाण पत्र भी रद हो जाते हैं। अब इनको नए सिरे से बनवाया जाएगा।