प्रयागराज महाकुंभ पहुँचे केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

प्रयागराज महाकुंभ पहुँचे केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

प्रयागराज महाकुंभ पहुँचे केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

महाकुंभनगर, 24 जनवरी (हि.स.)। महाकुंभ के अवसर पर परमार्थ निकेतन शिविर, परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, प्रयागराज में चल रही श्रीराम कथा में शुक्रवार को केन्द्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पहुंचे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती और राष्ट्रसंत, मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने अर्जुन राम मेघवाल को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।

इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि 24 जनवरी, 1950 को इस देश की संविधान सभा ने हमारे राष्ट्र ध्वज को स्वीकार किया था। इसलिये आज का दिन महत्वपूर्ण है। 25 जनवरी हम मतदाता दिवस के रूप में मनाते हैं और 26 जनवरी हम गणतंत्र दिवस के रूप मे मनाते हैं इसलिये संगम के तट पर पूज्य संतों के पावन सान्निध्य में ये त्रिदिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया है। उन्होंने श्रीराम कथा में माँ मीरा के रामधन ’’पायो जी मैने राम रतन धन पायो’’ गीत गाया। सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर मानस कथा से संबोधित करते हुये कहा कि ‘कन्या है तो कल है और गंगा है तो जल है‘ ये दोनों हमारे भारत के भविष्य और समग्र विश्व की पवित्रता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि हम कन्याओं को बचाने की दिशा में कदम नहीं उठाएंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को किस तरह से बचा सकेंगे? नवरात्रि में हम कन्याओं को जिमाते हैं, परन्तु अगर कन्या नहीं होती तो जिमाएंगे किसे, अब समय आ गया कि कन्याओं को जिमाएं भी और जमाएं भी; उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करें क्योंकि नारी, घर की क्यारी है। जब नारी शिक्षित और सशक्त होती है, तो वह अपने परिवार को समृद्ध बनाती है और दीक्षा के माध्यम से परिवार को संस्कार युक्त बनाती है। नारी को सामान नहीं, बल्कि सम्मान की आवश्यकता है। हमें यह समझना जरूरी है कि माँ नहीं तो हम नहीं इसलिये नारी का सम्मान करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। स्वामी ने कहा कि देश की संस्कृति और संस्कारों को बचाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है। आज के दौर में इंटरनेट का उपयोग तो महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि केवल बाहरी ज्ञान ही नहीं, बल्कि भीतर विकास भी जरूरी है।