बांके बिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम

मंदिर में अर्पित किया गया 31 किलो का केक केक

बांके बिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम

हमीरपुर, 30 अगस्त । सैकड़ों साल पुराने मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम मची रही। बांके बिहारी जू देव मंदिर में श्रीकृष्ण की मनोहारी मूर्ति का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी।


मंदिर में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर अबकी बार इकतीस किलोग्राम का केक अर्पित किया गया। केक के साथ 56 प्रकार का भोग लखनऊ से लाए गए। गहरौली स्थित बांके बिहारी जू देव मंदिर बुंदेलखंड क्षेत्र का इकलौता मंदिर है जहां सैकड़ों साल पहले अंग्रेज हुकूमत के खिलाफ बड़े आंदोलन का प्लान बना था।


यह मंदिर काफी बड़े क्षेत्र में बना है जिसके अंदर गहरी सुरंगें गांव के तालाब तक जुड़ी हैं। इसी सुरंग के सहारे क्रांतिकारी अंग्रेजी फौजों से बचने के लिए ठिकाना बदलते थे। मंदिर की विशेषता है कि भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के पास माथा टेकने मात्र से ही कल्याण हो जाता है। इसके अलावा हमीरपुर में मराठाकालीन राधा कृष्ण मंदिर, महावीरन मंदिर व पुलिस लाइन में स्थित प्राचीन मंदिर भी जन्माष्टमी की धूम शुरू हो गई है।

मंदिर प्रमुख विमल चंद्र गुरुदेव ने कहा श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव इस बार झिलमिल झालरों से सजाया गया है। 31 किलो फूल मंगवाए गए। बांके बिहारी मंदिर में सोमवार को दोपहर से श्रीकृष्ण की मनोहारी मूर्ति और अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाओं का दूध, घी, शहद और गंगाजल से जलाभिषेक किया गया। यह कार्यक्रम करीब 2 घंटे तक चला। इसके बाद वस्त्र पहनाकर उन्हें मोतियों की माला पहनाई गईं। मंदिर के पुजारी राजाभइया दीक्षित ने बताया कि जन्मोत्सव पर हजारों लोग उत्साह से मंदिर आए है।


बलदाऊ मंदिर में भजन संध्या का आयोजन

हमीरपुर शहर के बलदाऊ मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष सजावट की गई है। रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया है। शाम 7 बजे से भजन संध्या का आयोजन हुआ। जिसमें भगवान श्री कृष्ण के जन्म एवं उनकी लीलाओं से संबंधित भजनों को प्रस्तुत करने का कार्य राठ से आने वाली संगीत मंडली ने किया। बलदाऊ मंदिर का निर्माण 141 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 1937 में लाला गोपाल दास ने करवाया था।

मंदिर में श्री कृष्ण व बलराम की अष्टधातु से निर्मित मूर्तियां विराजमान हैं। प्रबंध सुनील अग्रवाल देखरेख करते हैं। मंदिर से गरीब असहाय लोगों के लिए रोटी सेवा का कार्य पिछले कई सालों से चल रहा है। पुजारी जगत प्रसाद ने बताया दानदाताओं से प्राप्त होने वाली धनराशि से रोटी सेवा संचालित है। मूर्तियों को नए रेशमी वस्त्र पहनाए गए हैं। श्री कृष्ण जन्म के बाद भक्तों को प्रसाद आदि का वितरण किया गया।