महाकुंभ : संगम की धरती पर कीजिए तिरुपति बालाजी के दर्शन, मंत्रमुग्ध कर देगा आलौकिक वातावरण

महाकुंभ : संगम की धरती पर कीजिए तिरुपति बालाजी के दर्शन, मंत्रमुग्ध कर देगा आलौकिक वातावरण

महाकुंभ : संगम की धरती पर कीजिए तिरुपति बालाजी के दर्शन, मंत्रमुग्ध कर देगा आलौकिक वातावरण

महाकुंभ नगर, 22 जनवरी । महाकुंभ मेला क्षेत्र में दुनिया और देशभर से आए लोगों को तिरुपति बालाजी के दर्शन हो रहे हैं। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की ओर से प्रयागराज में जारी महाकुंभ में ही बालाजी का मंदिर बनाया गया है। यहां पूजा और अन्य क्रियाकर्म उसी तरह हो रहा है, जैसा तिरुपति में होता है। गाेपुरम से लेकर गरुड़ मंदिर तक, सारा इंतज़ाम तिरुपति जैसा ही किया गया है।

असल नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी भगवान तिरुपति बालाजी का असल नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है, जो स्वयं भगवान विष्णु हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में रहते हैं। माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से भगवान वेंकटेश्वर के सामने मनोकामना मानता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है।

महाकुंभ में संगम तट पर विराजे हैं तिरुपति बालाजीमहाकुम्भ के लिए तिरुपति बालाजी ट्रस्ट की ओर से इस बार नागवासुकि सेक्टर छह में शिविर लगाया गया है। जिसमें बालाजी की आठ फीट की प्रतिमा की प्रतिकृति (रेप्लिका) रखी गई है। प्रतिमा के बायीं और उनकी पत्नी पद्मावती की स्वर्ण प्रतिमा रखी हुई हैं।

मन्दिर प्रांगण में प्रवेश करते ही आपको आध्यात्मिकता का अहसास होगा। प्रवेश करते ही दायीं और बायीं ओर बलराम, वाराह, कूर्म, कृष्ण, परशुराम, नरसिंह, वामन, मत्स्य, राम अवतार के सुंदर चित्र लगाये गये हैं। मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर जय और विजय नाम के द्वारपाल पहरेदारी के लिये खड़े हैं। मुख्य मंदिर के ठीक सामने भगवान के वाहन गरुड़ का मंदिर बना है।

तिरुमला तिरुपति जैसी धार्मिक सेवाएं और अनुष्ठानतिरुमला तिरुपति धर्म संघ के सचिव रघुनाथ ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया, 'उत्तर प्रदेश सरकार ने कुंभ मेले के आयोजन के लिए 2.5 एकड़ भूमि आवंटित की है, जिस पर श्रीवारी का एक मॉडल मंदिर स्थापित किया गया है। इस मंदिर में तिरुमला की जैसी सभी धार्मिक सेवाएं और अनुष्ठान हो रहे हैं, जिससे उत्तर भारत के श्रद्धालुओं को तिरुमला के वातावरण का अनुभव हो सकेगा। इस कदम से प्रयागराज में भगवान श्रीवारी के भक्तों को एक नई आध्यात्मिक सेवा का अवसर मिल रहा है।'

70 सदस्यीय टीम कर रही तिरुमला जैसी पूजा अर्चनारघुनाथ ने आगे बताया कि, 'इस रेप्लिका मंदिर में 170 सदस्यीय एक टीम की ओर से तिरुमला की तरह ही पूजा अर्चना, भजन कीर्तन और बाकी धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'हमारा उद्देश्य है कि भक्तों को तिरुमला के अनुभव जैसा माहौल प्रदान किया जाए ताकि वे भगवान श्रीवारी की उपासना में पूरी तरह समाहित हो सकें।' उन्होंने आगे बताया, 'तिरुपति बालाजी मंदिर के तरह यहां सुप्रभात सेवा, थोमाला सेवा, कोलुवु, कल्याणोत्सवम, अर्जित ब्रह्मोत्सवम, अर्जित वसंतोत्सवम, सहस्र दीपालन सेवा और एकांत सेवा की जाती है। इस टीम की ओर से नियमित रूप से पूजा और बाकी धार्मिक सेवाएं प्रदान की जाएंगी, जिससे श्रद्धालुओं को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सकेगा।' उन्होंने बताया कि, 'श्रद्धालुओं का तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाला लड्डू प्रसाद भी यहां दिया जा रहा है।'

कुंभ मेला में श्रीवारी कल्याणोत्सव के चार विशेष सत्ररघुनाथ ने बताया, 'कुंभ मेला में श्रीवारी कल्याणोत्सव के चार विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। पहला सत्र 18 जनवरी को हो चुका है। शेष तीन 26 जनवरी, 3 और 12 फरवरी को आयोजित होंगे। इन सत्रों में भगवान श्रीवारी की पूजा और भक्तों के लिए विशेष अनुष्ठान होंगे। इन अवसरों पर श्रद्धालुओं को विशेष आशीर्वाद मिलेगा और वे भगवान श्रीवारी के साथ अपनी धार्मिक यात्रा को और भी पवित्र बना सकेंगे।'