ज्योतिर्मठ शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द ने किया धर्मसंसद का उद्घाटन 

ज्योतिर्मठ शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द ने किया धर्मसंसद का उद्घाटन 

ज्योतिर्मठ शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द ने किया धर्मसंसद का उद्घाटन 

महाकुम्भ नगर, 10 जनवरी(हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ में शुक्रवार को ज्योतिर्मठ शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द ने धर्मसंसद का उद्घाटन किया। धर्मसंसद में पांच प्रस्ताव आये जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। यह धर्म संसद प्रतिदिन मध्याह्न 12 से 3 बजे तक चलेगी और सनातन धर्म के विभिन्न विषयों व समस्याओं पर चर्चा होकर शङ्कराचार्य द्वारा धर्मादेश जारी किया जाएगा।

धर्मसंसद पारित किए गए प्रस्ताव

धर्म संसद के समक्ष प्रस्ताव यह प्रस्तुत हुआ कि संपूर्ण मेला क्षेत्र में नालियों के पास असम्मानजनक तरीके से रखे गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चित्र हटाए जाएं और उन्हें सम्मानजनक तरीके से रखा जाए। इस पर विचारोपरांत यह प्रस्ताव पारित किया गया कि देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री की गरिमा के अनुकुल इन्हें तुरंत हटा कर सम्मानजनक स्थान दिया जाए।

धर्मसंसद के सम्मुख दूसरा प्रस्ताव यह पेश किया गया कि देश के पहले राष्ट्रपति डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद ने वर्ष 1954 में इसी महाकुंभ मेले में एक माह का कल्पवास किया था तथा धर्मध्वज की स्थापना की थी, वह वर्तमान मेले में स्थान परिवर्तित कर अन्यत्र स्थापित किया गया है जाे तत्कालीन राष्ट्रपति का अपमान है। यह धर्मध्वज एक राष्ट्रीय धरोवर के रूप में प्रतिष्ठापित था। उस धरोहर में किसी प्रकार का परिवर्तन उचित नहीं है । अतः प्रस्ताव पारित किया गया है कि धर्मध्वज की गरिमा को देखते हुए धर्मध्वज यथास्थान प्रतिष्ठापित किया जाए।

धर्मसंसद के समक्ष यह तीसरा प्रस्ताव पास किया गया कि मेला क्षेत्र में प्रवाहित त्रिवेणी संगम में दूषित जल होने की शिकायतें आ रही हैं और चूंकि मेले में संत महात्मा एवं श्रद्धालुजन शाही पर्व स्नान के अवसर पर एवं सामान्य तिथियों में भी आस्था की डुबकी लगाते हैं। ऐसी स्थिति में त्रिवेणी संगम का जल स्नान योग्य है या नहीं,उसकी तत्काल जांच कराई जाए और यथायोग्य कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। गया।

धर्मसंसद में चाैंथा प्रस्ताव लाया गया कि मेला प्रारंभ होने की तिथि 13 जनवरी है और मेले की सारी व्यवस्थाएं बहुत धीमी गति से चल रही हैं। व्यवस्थाएं यथा समय होने पर ही मेले की महत्ता एवं गरिमा स्थापित हो सकेगी तथा मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को भी असुविधाजनक स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा अतः प्रस्ताव पारित किया गया है कि मेले की व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन हेतु स्थापना कार्य में तेजी लाई जाए।

पांचवां प्रस्ताव यह प्रस्तुत किया गया कि विभिन्न स्थानों पर लगे हुए विभिन्न बोर्ड एवं होर्डिंग में कुंभ मेले का वर्ष इस्वी सन 2025 उल्लेख किया गया है, उसके स्थान पर हिन्दी विक्रम संवत 2081 किया जाना चाहिए। चूंकि मेले का शुभारंभ, पर्व स्नान की तिथियां एवं अन्य सभी आयोजन हिन्दी विक्रम संवत के आधार पर ही निर्धारित होकर संचालित होते हैं । अतः यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि महाकुंभ वर्ष 2025 के स्थान पर महाकुंभ विक्रमी संवत 2081 का उल्लेख विभिन्न बोर्ड एवं होर्डिंग तथा शासकीय पत्राचार में किया जाए। उक्त पांचों प्रस्ताव सर्वसम्मति से धर्मसंसद में पारित कर निर्देशित किया गया कि उन्हें मेला अधिकारी को भेजकर उनका पालन सुनिश्चित कराया जाए। इस अवसर पर राजगढ़ के धर्मांसद् मनोहर लाल जायसवाल की आकस्मिक मृत्यु पर शोक प्रस्ताव पारित किया गया और समस्त संसद ने 3 बार शान्ति मन्त्र का उद्घोष करते हुए श्रद्धाञ्जलि समर्पित की। धर्माधीश के रूप में गुजरात से पधारे किशोर दवे उपस्थित रहे। संसदीय सचिव के रूप में डा.ॅ उमाशंकर रघुवंशी और उपसचिव के रूप में देवेन्द्र पाण्डेय और स्वामी निजानन्द गिरि उपस्थित रहे।