सिराथू में बनेगा इंडो-इजरायल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर फ्रूट

कौशाम्बी और दोआब के अमरुद, केला और आंवला पट्टी को मिलेगी संजीवनी

सिराथू में बनेगा इंडो-इजरायल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर फ्रूट

कौशांबी, 29 जून। जनपद और उसके आसपास के क्षेत्रों में हजारों किसान अमरुद ,केला और आंवला पैदा करते हैं। क्षेत्रीय फल पट्टी के रूप में जाने जाने वाले इस इलाके के किसानों और बागवानों को योगी सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है ।

गंगा-यमुना के दोआब में आने वाले जनपद कौशाम्बी और उसके आसपास के क्षेत्रों के किसानों के लिए योगी सरकार ने बड़ी सौगात दी है। लखनऊ में योगी सरकार की कैबिनेट की बैठक में कौशाम्बी के सिराथू में इज़राइल के सहयोग से "इंडो-इज़रायल सेण्टर ऑफ़ एक्सीलेन्स फॉर फ्रूट" की स्थापना के लिए सहमति दे दी गई है। एकीकृत बागवानी विकास मिशन की योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा तहसील सिराथू के कोखराज गाँव में ₹651.64 लाख की लागत से यह सेण्टर स्थापित होने जा रहा है । इसमें केन्द्रांश ₹390.98 लाख और राज्यांश ₹260.65 लाख होगा । इसे कृषि विभाग की 9 हेक्टेयर की भूमि में स्थापित किया जाएगा। इससे किसानों और बागवानों को रोगमुक्त उच्च गुणवत्ता के फलदार / सब्जी पौध उपलब्ध कराई जा सकेगी ।

अमरुद ,केला और आंवला पट्टी को मिली संजीवनी

जनपद और उसके आसपास के क्षेत्रो में अमरुद ,केला और आंवला के बागान सबसे अधिक हैं । लेकिन इन फलों में लगने वाले किसी न किसी रोग या कीट और रोपित की जाने वाली पौध की उच्च गुणवत्ता की कमी की वजह से इस फल पट्टी के बागवान परेशान रहते थे । लेकिन अब यहाँ "इंडो-इज़रायल सेण्टर ऑफ़ एक्सीलेन्स फॉर फ्रूट " की स्थापना से हालात बदल जायेंगे । सिराथू में सुरखा अमरुद पैदा करने वाले किसान बलवीर सिंह बताते हैं कि उनके अमरुद के आधे से अधिक बागान फ्रूट फ्लाई की भेट चढ़ जाते हैं । इससे अमरुद पैदा करना घाटे का सौदा जैसा हो गया था । लेकिन सरकार की तरफ से इस सेंटर के लगने से उनके बागानों में फ्रूट फ्लाई की समस्या से निजात मिलेगी । केला पैदा करने वाले चायल के किसान अजमल का कहना है कि केला उत्पादक किसानो के लिए कीट और रोग से लड़ने वाली केले के रोपित किये जाने वाले पौधों की यहाँ बड़ी कमी थी। इस इकाई के लगने से यह कमी नहीं होगी और किसान की आमदनी बढ़ेगी ।

औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरो बाग़ के प्रभारी वैज्ञानिक कृषि वीके सिंह बताते हैं कि इस क्षेत्र में हर साल अमरुद की 12 से 13 हजार कलमी पौध ही तैयार हो पाती है लेकिन इस केंद्र के स्थापित होने से इसमें दस से 11 गुना तक बढ़ोत्तरी होगी । इसी तरह केले के लिए सबसे बड़ी समस्या प्लांटिंग मैटेरियल की उपलब्धता की कमी है जो इस यूनिट के लगने से समाप्त हो जायगी ।

5440 लोगों को मिलेगा रोजगार

इस सेंटर के स्थापित होने से किसानो के साथ साथ स्थानीय लोगो को भी लाभ होगा । इस नवीन तकनीकी के माध्यम से उत्पादित औद्यानिक फसलों में उच्च गुणवत्ता के फलों की प्राप्ति होगी जिससे इसका बड़े पैमाने पर निर्यात संभव हो सकेगा । इसमें प्रति वर्ष 50,000 रोगमुक्त उच्च गुणवत्ता के फलदार पौध उत्पादित होगी जिससे 5440 रोजगार का सृजन भी होगा ।