माफिया अतीक के रुतबे से प्रभावित होकर सिपाही एहतेशाम ने छोड़ी थी पुलिस की नौकरी

माफिया अतीक के रुतबे से प्रभावित होकर सिपाही एहतेशाम ने छोड़ी थी पुलिस की नौकरी

माफिया अतीक के रुतबे से प्रभावित होकर सिपाही एहतेशाम ने छोड़ी थी पुलिस की नौकरी

प्रयागराज, 17 मार्च । पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद की सुरक्षा के दौरान उसके रुतबे से सिपाही एहतेशाम काफी प्रभावित था। वह ऐशो आराम की जिंदगी जीने का आदी हो गया था। वेतन तो वह पुलिस की लेता था, लेकिन काम अतीक के इशारे पर करता था। बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में अतीक के जेल जाने के बाद एहतेशाम ने पुलिस की नौकरी छोड़कर अतीक के शूटर अब्दुल कवि से गठजोड़ कर कौशाम्बी सहित कई जिलों में खुद की बादशाहत कायम करने के लिए निकल पड़ा।


सूत्रों के अनुसार सरायअकिल कोतवाली के पुरखास गांव का एहतेशाम उर्फ करीम बाबा तीन भाई हैं। एक मुम्बई में नौकरी करता है, दूसरे की फकीराबाद में चश्मे की दुकान है। एहतेशाम की मुलाकात वहीं आईएस-227 के गैंग सदस्यों से हुई और यहीं से अपराध की दुनिया में अपना पहला कदम रखा। राजू पाल हत्याकांड में जब अतीक अहमद जेल गया तो एहतेशाम ने पुलिस की नौकरी छोड़ दी। पूर्व तैनाती स्थल पर अपनी आमद भी नहीं कराई। पुलिस विभाग ने भी उसकी खोजबीन का प्रयास नहीं किया। कवि भी भखंदा गांव का रहने वाला था। हालांकि पुलिस के रिकॉर्ड में अब्दुल कवि के खिलाफ तो राजू पाल हत्याकांड के गवाह ओम प्रकाश पाल पर कातिलाना हमला का मुकदमा दर्ज है, लेकिन एहतेशाम के खिलाफ किसी मुकदमे की जानकारी पुलिस के पास नहीं है।

पुरखास स्थित पैतृक घर में रहने वाले एहतेशाम के परिवार के लोग पुलिस और एसटीएफ की कार्रवाई से सहमे हुए हैं। उनका कहना है कि पिछले सात साल से एहतेशाम घर नहीं आया। उसका कोई अता-पता भी नहीं है। पुलिस आई थी और पूछताछ की। जितनी जानकारी थी, बता दिया गया।

उल्लेखनीय है कि 17 वर्ष की उम्र में अतीक अहमद के खिलाफ 1979 में प्रयागराज में मो. गुलाम की हत्या का पहला मुकदमा खुल्दाबाद कोतवाली में दर्ज हुआ था। इसके बाद अतीक के खिलाफ मुकदमों की झड़ लग गई। प्रदेश स्तर अतीक का गैंग चार्ट बनाया गया, जिसका नाम आईएस 227 रखा गया। गैंग में कौशाम्बी के नसीम उर्फ नस्सन पुत्र कल्लन, अंसार अहमद पुत्र मो. इलियास, रईस अहमद पुत्र अब्दुल हनीफ व एजाज अख्तर पुत्र हाजी कुद्दूस भी शामिल थे। अब्दुल कवि को माफिया अतीक का शूटर बताया गया है।
सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ बमबाज गुड्डू मुस्लिम तक लगभग पहुंच गई थी, लेकिन छापेमारी से ठीक पहले वह भाग निकला। ऐसा ही साबिर के साथ भी हुआ। पुलिस को लगातार गंगा किनारे के क्षेत्रों से साबिर के होने की जानकारी मिल रही थी। लेकिन पुलिस आने से पहले ही साबिर भी भाग निकला। यही कारण है कि पुलिस एवं एसटीएफ के कुछ कर्मियों की अतीक के साथ मिली भगत की सम्भावना जतायी गयी थी, जिसकी जांच भी चल रही है। कई लोग जांच के रडार पर भी हैं।

उमेश पाल हत्याकाण्ड में नया वीडियो आया


उमेश पाल हत्याकाण्ड में सीसीटीवी का एक नया वीडियो आया है, जिसमें उमेश गोली लगने के बावजूद असद से भिड़ता दिखाई दे रहा है। दोनों के बीच हाथापाई होती है और उमेश निकलकर गली में भागता है, जहां असद ने उसे गोलियों से छलनी कर दिया।


फुटेज में असद गोली मारने के बाद अपनी कमर में पिस्टल खोंसता दिखाई दे रहा है। उसी समय गोली लगने से जख्मी एक गनर भागता हुआ नजर आ रहा है। उसके पीछे गुड्डू मुस्लिम पीछे से बम मारता दिखाई दे रहा है।