हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस की हिस्ट्रीशीट खोलने की अनियंत्रित शक्ति को सीमित किया 

हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस की हिस्ट्रीशीट खोलने की अनियंत्रित शक्ति को सीमित किया 

हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस की हिस्ट्रीशीट खोलने की अनियंत्रित शक्ति को सीमित किया 

-कहा, आपत्ति प्रस्तुत करने का मौका दिया जाना चाहिए

प्रयागराज, 21 जनवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में पुलिस को हिस्ट्रीशीट खोलने की जारी अनियंत्रित शक्ति को सीमित किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि हिस्ट्रीशीट खोलने से पहले आरोपी को आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए एक मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने इसके लिए दिशा निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है।

न्यायालय ने कहा कि जब देश में लोकतंत्र नहीं था तब औपनिवेशिक शासकों ने भारतीयों के लिए हिस्ट्रीशीट खोलने के नियम बनाए थे जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन था। अब आजादी बाद संविधान के लागू होने पर प्राकृतिक न्याय के नियमों का पालन किया जाना अनिवार्य है। न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए पुलिस उपायुक्त गौतमबुद्ध नगर के हिस्ट्रीशीट खोलने के आदेश को रद्द कर दिया।

हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर इस आदेश को प्रमुख सचिव (गृह) उत्तर प्रदेश को सूचित करें। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ व न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने फिरोज मलिक, साजिद मलिक, इमरान मलिक व निजाम मलिक की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया।

गौतमबुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा निवासी याचियों के खिलाफ पुलिस उपायुक्त ने 16 जून 2021 को हिस्ट्रीशीट खोलने का आदेश दिया था। याचियों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। याची के वकील ने दलील दी कि याचियों पर 30 जुलाई 2020 को पहला मुकदमा आईपीसी की धारा 408 और धारा 386 में दर्ज किया गया था। उसके बाद गुंडा एक्ट की कार्रवाई की गई। इसके आधार पर बी श्रेणी की हिस्ट्रीशीट खोलने का आदेश जारी कर दिया गया। जबकि याची पेशेवर अपराधी नहीं हैं। ऐसे में हिस्ट्रीशीट खोलना अवैध है। इसे रद्द किया जाना चाहिए।

न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि हिस्ट्रीशीट खोलने से पहले आपत्ति दर्ज करने का मौका दिया जाना चाहिए। हिस्ट्रीशीट खोलने के आदेश को रद्द कर दिया। राज्य सरकार को इस सम्बंध में दिशा निर्देश जारी करने का आदेश दिया।