महाकुम्भ : राष्ट्रसंत मोरारी बापू, ​स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती ने ध्वजारोहण किया

महाकुम्भ : राष्ट्रसंत मोरारी बापू, ​स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती ने ध्वजारोहण किया

महाकुम्भ : राष्ट्रसंत मोरारी बापू, ​स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती ने ध्वजारोहण किया

-परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, अरैल घाट, प्रयागराज में नवनिर्मित आश्रम में किया प्रथम ध्वाजारोहण

महाकुम्भनगर,26 जनवरी (हि.स.)। 76वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रसंत व कथावाचक मोरारी बापू, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डॉ.साध्वी भगवती सरस्वती ने ध्वाजारोहण किया।

महाकुम्भ क्षेत्र के अरैल घाट स्थित नवनिर्मित आश्रम परमार्थ त्रिवेणी पुष्प आश्रम में तीनों संतों ने अपने भक्तों के साथ ध्वजारोहण किया। यह एक ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह था, जिसमें पूज्य संतों ने भारतीय तिरंगे को शान से फहराया और तिरंगे को सलामी दी।

महाकुम्भ में ध्वाजारोहण विश्व के लिए साबित होगा ​मील का पत्थर

महाकुम्भ के अवसर पर विश्व के कई देशों से आये श्रद्धालुओं के लिये यह मील का पत्थर साबित हुआ, जिसमें राष्ट्रभक्ति के साथ भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं के संरक्षण का संदेश समाहित है।

संस्कारों, परंपराओं और समृद्ध इतिहास को गर्व के साथ संजोए रखें

गणतंत्र दिवस के दिव्य समारोह की शुरुआत में पूज्य बापू और पूज्य स्वामी जी ने राष्ट्र ध्वज का सम्मानपूर्वक ध्वजारोहण किया और अमर जवान ज्योति को नमन किया। स्वामी जी ने देशवासियों से आह्वान किया कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और अपने संस्कारों, परंपराओं और समृद्ध इतिहास को गर्व के साथ संजोए रखें।

लोकतंत्र एक तट का एक किनारा है,वेद मंत्र दूसरा किनारा

पूज्य बापू ने कहा कि लोकतंत्र एक तट है, एक किनारा है और पूरे विश्व के लिए वेद मंत्र दूसरा किनारा है। लोकतंत्र व वेदमंत्र दोनों तटों के बीच परमार्थ का प्रवाह प्रवाहित हो रहा है। पूज्य बापू ने परमार्थ त्रिवेणी पुष्प के दर्शन करते हुये कहा कि पूज्य स्वामी जी की रचना अद्भुत है, मैं इस कृति के दर्शन कर अत्यंत प्रसन्न हूँ।

हम जाग्रत हो और अपने राष्ट्र को भी जाग्रत करें

उन्होंने कहा कि वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः, अर्थात हम जाग्रत हो और अपने राष्ट्र को भी जाग्रत करें। यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है। बापू ने कहा कि सनातन धर्म और संस्कृति को हर घर में जागृत करना जरूरी है, ताकि हर व्यक्ति अपने आस्थाओं और मूल्यों को समझे और उन पर गर्व महसूस करे।

सनातन संस्कृति और लोकतंत्र भारत के आधार स्तंभ

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सनातन संस्कृति और लोकतंत्र भारत के आधार स्तंभ है। भारत का लोकतंत्र, हमारी संस्कृति, हमारी पहचान और हमारे जीवन के मूल्यों की दिव्य अभिव्यक्ति है।

गणतंत्र दिवस, सनातन लोकतंत्र का पर्व है

76 वें गणतंत्र दिवस पर, स्वामी जी ने कहा कि गणतंत्र दिवस, सनातन लोकतंत्र का पर्व है जो हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को सदियों से संजोंते आ रहा हैं और अपनी पहचान को गौरवमयी बना कर रखा है। परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, आश्रम के माध्यम से एक नए प्रयास की शुरुआत की है, जिसमें समाज के हर वर्ग को देशभक्ति व देवभक्ति से जोड़ने और संस्कारों से ओतप्रोत करने का एक दिव्य प्रयास है।

हमें सनातन का संदेश हर घर में पहुंचाना होगा

स्वामी जी ने कहा कि हमें 'सनातन का संदेश हर घर में पहुंचाना होगा।' सनातन धर्म का अद्वितीय दर्शन और मूल्य हमें जोड़ने,सहनशीलता और परस्पर सम्मान की भावना सिखाते हैं। यह हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, और हमें इसे भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाना है।

राष्ट्र का हर प्रयोग संगम बने और हमारा जीवन यज्ञ बने

स्वामी जी ने जीवन को यज्ञ के रूप में जीने का संदेश देते हुये कहा कि, 'राष्ट्र का हर प्रयोग संगम बने और हमारा जीवन यज्ञ बने।' आज का दिन हमारे गणराज्य के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। 76 वें गणतंत्र दिवस पर आयोजित इस समारोह ने न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित किया, बल्कि यह हमें अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों की याद दिलाता है।

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र की प्रगति औरा अखण्डता के लिए लें संकलप

गणतंत्र दिवस के इस वसर पर हम सभी को अपने राष्ट्र की प्रगति और अखंडता के लिये कार्य करने का संकल्प लेना होगा ताकि हम एक मजबूत, समृद्ध और एकजुट भारत का निर्माण कर सकें।

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