गोरखपुर : ''संस्कृति-अध्यात्म'' ने ''यूपी टूरिज्म'' को दिया ''अमृत''
रामायण, बौद्ध, जैन, सूफी, शक्तिपीठ और महाभारत सर्किट योजना से पर्यटन ने भरी उड़ान
गोरखपुर, 12 नवम्बर। उत्तर प्रदेश अब सांस्कृतिक विरासत को संजोये रखने में देश का अग्रणी राज्य बन रहा है। यहां की विश्व प्रसिद्ध गंगा-यमुनी तहजीब (संस्कृति) अब परवान चढ़ने लगी है। प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश की समृद्धिशाली संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन को न सिर्फ आगे बढ़ाया है, बल्कि इन अमूर्त विरासतों को संरक्षित करने के लिए अनेक ठोस कदम उठाये हैं।
प्रस्तुत है एक रिपोर्ट- उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वदेश दर्शन योजना के तहत रामायण सर्किट, बौद्ध सर्किट, हेरिटेज सर्किट, स्प्रिचुएल सर्किट, बुन्देलखण्ड सर्किट, शक्तिपीठ सर्किट, महाभारत सर्किट, सूफी सर्किट एवं जैन सर्किट परिपथों को चिन्हित किया। सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से सम्पन्न इन क्षेत्रों को पर्यटन की दृष्टि से बढ़ावा देना शुरू किया है। इन स्थलों पर मूलभूत सुविधायें प्रदान कराते हुए पर्यटन की दृष्टि से इनके समेकित विकास पर बल दिया है।
ऐसे हो रहा काम: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीते 29 अगस्त को भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में रामायण कॉनक्लेव का उद्घाटन किया। यहां रामायण के विभिन्न प्रसंगों पर आधारित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। अब तक प्रदेश के 18 जनपदों में यह आयोजन हो चुका है। इससे न सिर्फ जन सामान्य में भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित आदर्शों की पुनर्स्थापना को बल मिला है, बल्कि सैलानियों को आकर्षित करने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।
चौरीचौरा शताब्दी समारोह : चौरी-चौरा शताब्दी समारोह एवं आजादी के अमृत महोत्सव के तहत गोरखपुर, काकोरी एवं लखनऊ में हुए विभिन्न कार्यक्रमों ने आम जनता को स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से जुड़े वीरों की गाथा को ताजा करने में सफलता हासिल की है। कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने को भी काम हुआ है। प्रमुख धार्मिक, पर्यटन स्थलों कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में ''कृष्णोत्सव’, अयोध्या में ''दीपोत्सव’ वाराणसी में ''देव दीपावली’ ''फरहा महोत्सव’ जैसे कार्यक्रमों ने पर्यटन उद्योग को न सिर्फ बढ़ाया है बल्कि जनसामान्य की श्रद्धा को और अधिक पुष्ट किया है।
फिल्मों के विकास ने भी पाई है गति: फिल्म के विकास योजना ने लोक कलाओं पर आधारित अवध, बुन्देलखण्ड, भोजपुरी, पूर्वांचल, तराई, जनजाति एवं प्रदेश की पूरी सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित करने का कार्य किया है। हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में 30-30 मिनट के बने 15 डाक्यूमेंट्री फिल्मों ने संस्कृति विभाग के यू-ट्यूब चैनल से आमजन को भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक किया है। इससे नई पीढ़ी में अपनी संस्कृति के बारे में जानकारी भी देने की गति भी तेज हुई है।
संस्कृतियों को संजोने का हुआ है कार्य: प्रदेश में वाद्ययंत्र अनुदान सहायता योजना चलाई जा रही है। लोक कलाकारों को वाद्ययंत्रों एवं वेशभूषा की खरीद के लिए अनुदान देने की योजना को मूर्त रूप देने का प्रयास जारी है। ऐसे में इनके उन्नयन का मार्ग प्रशस्त होना सुनिश्चित है। इतना ही नहीं अभिलेखीकरण योजना के तहत प्रदेश की समृद्धिशाली सांस्कृतिक धरोहर का अभिलेखीकरण कार्य भी शुरू है। इससे प्रदेश की विविध संस्कृतियों को संजोये रखने में मदद मिलेगी।