बाबर आक्रांता व एक मामूली लूटेरा भर था : प्रोफेसर कुसुमलता

इतिहास को तोड़ मरोड़ कर दिखाया गया

बाबर आक्रांता व एक मामूली लूटेरा भर था : प्रोफेसर कुसुमलता
वाराणसी, 21 जून (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कार्यकारिणी परिषद की पूर्व सदस्य इतिहासकार प्रोफेसर कुसुमलता केडिया ने कहा कि भारतीय इतिहास को तोड़ मरोड़ कर दिखाया गया है। मुगल आक्रांता बाबर का उल्लेख कर उन्होंने कहा कि मामूली लूटेरा भर था। बाबर भारत में लूट के मकसद से आया और यहां -वहां भागते अंततः मर गया। 
 
प्रो. केडिया प्रबुद्ध जन काशी और प्रबोधिनी फाउंडेशन के संयुक्त बैनर तले आयोजित वेबिनार को सम्बोधित कर रही थी। प्रो.कुसुमलता ने तथ्यों के आधार पर स्पष्ट किया कि अलेक्जेंडर का भारत पर आक्रमण का गप्प पहली बार 18वीं सदी में एक पादरी विलियम जोहन्स ने गढ़ी थी। जिसे यह भी नहीं पता था कि अलेक्जेंडर भारतीय दर्शन से सादृश्य रखने वाला यवन दर्शन का अनुयायी और बहु देवता पूजक था। उसे किसी तरह भारत पर विदेशी आक्रमणकारियों की प्राचीन परंपरा दिखाने की उतावलापन मात्र थी। 
 
उन्होंने कहा कि न तो तत्कालीन यवन स्रोतों में कहीं सिकंदर के भारत आक्रमण का उल्लेख है, न ही तत्कालीन भारतीय श्रोत में। अलेक्जेंडर के 1000 साल बाद यह गप्प सप्रयोजन रची गई। उसमें यही कहा है कि भारत में आक्रमण की बात सुनते ही अलेक्जेंडर की सेना ने हथियार डाल दिये। और वापस जाने की ज़िद करने लगे, जिसे उसे मानना पड़ा। इसी प्रकार गजनी के विषय में अलबरूनी ने कहीं भी उसके भारत में कहीं आक्रमण का कोई उल्लेख नहीं किया है। मोहम्मद गोरी का भी कोई समकालीन स्रोत नहीं है। गोरी की पृथ्वीराज चौहान पर विजय का भी कोई समकालीन साक्ष्य नहीं है। उल्टे पृथ्वीराज विजय एक प्रसिद्ध समकालीन कश्मीरी कवि की रचना है, जिसमें पृथ्वीराज की विजय दिखाई गई है। 
उन्होंने कहा कि बाबरनामा में भी राणा सांगा पर अकबर की जीत का कोई उल्लेख नहीं है। वेबिनार में डा. लोकनाथ पांडेय, विनय शंकर राय ,सर्वजीत शाही, विनय कांत मिश्रा वागीश शुक्ला, डॉक्टर राजेश्वर नारायण सिंह, पवन कुमार सिंह, श्रवण कुमार तिवारी, वेदांत राय अजीत चौबे ने भी विचार रखा। संचालन इंद्रेश सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर संजय सिंह गौतम ने किया।