प्रयागराज के बाद हिसार में सबसे बड़ा 52 फुट का स्थाई सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र

प्रयागराज के बाद हिसार में सबसे बड़ा 52 फुट का स्थाई सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र

प्रयागराज के बाद हिसार में सबसे बड़ा 52 फुट का स्थाई सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र

प्रयागराज में बनाए गए यंत्र को वहीं पर किया जाएगा विसर्जित, उससे पहले हिसार के यंत्र को श्रद्धालुओं के सुपुर्द कर दिया जाएगाहिसार, 25 फरवरी (हि.स.)। हिसार के मैयड़ गांव स्थित अंतरराष्ट्रीय सिद्ध महामृत्युंजय व ज्योतिष एवं योग अनुसंधान केंद्र के संस्थापक स्वामी सजानंद नाथ द्वारा प्रयागराज के कुंभ मेले में स्थापित किए गए विश्व के सबसे बड़े अस्थाई महासिद्ध महामृत्युंजय यंत्र के बाद अब संस्थान में विश्व का सबसे बड़ा 52 फुट बाई 52 फुट का स्थाई महासिद्ध महामृत्युंजय यंत्र बनकर लगभग तैयार हो गया है। प्रयागराज के महासिद्ध महामृत्युंजय यंत्र को एनजीटी के निर्देशों व अन्य नियमों के कारण शीघ्र ही विसर्जित किया जाएगा लेकिन उससे पहले हिसार में यह यंत्र श्रद्धालुओं को समर्पित कर दिया जाएगा। इस यंत्र का भूमि पूजन देश की सबसे अमीर महिला एवं हिसार की विधायक सावित्री जिंदल ने करीब ढाई माह पूर्व पिछले वर्ष 7 दिसंबर को किया था। इस महामृत्युंजय यंत्र को हिसार में स्थापित करने के लिए कई दशकों से सपना संजोए अनुसंधान केंद्र के स्वामी सहजानंद नाथ का कहना है कि इस यंत्र के हरेक कोण से असीम ऊर्जा का अहसास होता है और इसका निर्माण मानवता के कल्याण हेतु किया गया है। विश्व के सबसे बड़े व पहले सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र के त्रिआयामी मेरु पृष्ठाकार स्वरूप की स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि इस स्थान की सकारात्मक ऊर्जा को देख कर लगता है कि आने वाले समय में यह सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र बहुत बड़े तीर्थ का रूप लेगा और देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पूजा, अनुष्ठान, दर्शन व साधना के लिए पहुंचेंगे।सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रद्युम्न ने कहा कि विश्व का यह पहला सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र अध्यात्म और पर्यावरण संरक्षण के संगम भी मिसाल बनेगा। वर्तमान परिवेश में मनुष्य बाह्य के साथ-साथ मानसिक प्रदूषण से भी पीडि़त है। मानसिक प्रदूषण के कारण ही वह ऐसे कृत्य करता है जिससे बाह्य वातावरण में भी प्रदूषण बढ़ता है। कोई भी तीर्थ या सिद्ध स्थल सकरात्मकता को उत्पन्न करता है।अन्य राज्यों और देशों में भी बनेंगे इसी तरह के यंत्रस्वामी सहजानंद नाथ ने कहा कि हिसार के बाद देश के अलग-अलग राज्यों और दुनिया के अलग-अलग देशों में भी इसी प्रकार सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र स्थापित किए जाएंगे ताकि लोगों के मानसिक प्रदूषण को समाप्त कर बाहय वातावरण को शुद्ध रखने में मदद मिल सके।सरस्वती नदी के स्थान पर स्थापित हुआ यंत्रमहामृत्युंजय साधना व पर्यावरण के लिए अपना जीवन आहूत करने वाले संस्थान के संस्थापक योगी स्वामी सहजानंद का संकल्प था कि हिसार में सरस्वती नदी के स्थान पर विश्व का सबसे बड़ा महामृत्युंजय यंत्र बनना चाहिए। क्योंकि यह वो स्थान है जहां पिछले 26 सालों से लगातार प्रतिदिन अनवरत रुद्राभिषेक चलते हैं। यहां लाखों की संख्या में महामृत्युंजय अनुष्ठान हुए हैं और करोड़ों महामृत्युंजय मंत्रों का अभी तक जाप हो चुका है। रूद्र और महारूद्र यज्ञ हुए हैं, इसलिए सकारात्मकता के प्रतीक आलौकिकता से परिपूर्ण इस महादिव्य सुसिद्ध यंत्र की स्थापना से आसपास के समस्त क्षेत्र का आलौकिक होना तय है।

पर्यावरण पर खर्च होगी अनुदान राशिमहामृत्युंजय संस्थान दुनिया का पहला व एकमात्र संस्थान है जो उसके पास किसी भी रूप में आने वाली अपनी समस्त अनुदान राशि को वृक्षारोपण के लिए खर्च करता है। हिसार में बनने वाले इस सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र पर आने वाली सभी दान अथवा अनुदान राशि को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण पर ही खर्च किया जाएगा।