आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र है महाकुम्भ: यतीन्द्र

विद्या भारती के महाकुम्भ दर्शन शिविर का हुआ भव्य उद्घाटन

आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र है महाकुम्भ: यतीन्द्र

महाकुम्भनगर,10 जनवरी (हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर 09 में शुक्रवार को विद्या भारती पूर्वी उ0प्र0 क्षेत्र द्वारा आयोजित महाकुम्भ दर्शन शिविर का उद्घाटन कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम का प्रारम्भ विद्या भारती के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री यतीन्द्र और ​विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डा. दिव्यकान्त शुक्ल ने मॉ सरस्वती के सम्मुख दीपार्चन एवं पुष्पार्चन कर किया।

इस अवसर पर विद्या भारती के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री यतीन्द्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि महाकुंभ आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र है।

कुंभ मेला देश में एक केंद्रीय आध्यात्मिक भूमिका निभाता है, जो आम भारतीयों पर एक जादुई प्रभाव डालता है। यह घटना खगोल विज्ञान, ज्योतिष, आध्यात्मिकता, कर्मकांड की परंपराओं, और सामाजिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और ज्ञान को अत्यंत समृद्ध बनाती है। जैसा कि हम जानते हैं यह मेला भारत में चार अलग-अलग शहरों में आयोजित होता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविध त्योहार बन जाता है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला (पवित्र घड़े का उत्सव) पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान बड़ी संख्या में सनातनी पवित्र नदी में स्नान करते हैं या डुबकी लगाते हैं। भक्तों का मानना है कि गंगा में स्नान करने से व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। महाकुंभ में बिना किसी आमंत्रण के लाखों लोग इस स्थान पर पहुंचते हैं। समागम में तपस्वी, संत, साधु, आकांक्षी-कल्पवासी और आगंतुक शामिल होते हैं।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि विद्या भारती के क्षेत्र संगठन मंत्री हेमचन्द्र ने कहा कि महाकुम्भ के अवसर इस शिविर को लगाने का मुख्य ध्येय अपनी भारतीय संस्कृति एवं परम्परा को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना है। इस शिविर के माध्यम के विद्या भारती के अंतर्गत चलने वाले संस्कार केन्द्र के भैया बहनों एवं उनके अभिभावाकों को इस महाकुम्भ के दर्शन कराकर उन्हे अपनी संस्कृति के विराट स्वरुप का परिचय कराना है। उन्होंने कहा कि संगम नगरी प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी के संगम तट पर 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है। सनातन धर्म में महाकुंभ का विशेष महत्व है। इस मेले का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक किया जाएगा। मान्यता है कि इस दौरान गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है तथा जीवन में आने वाले सभी समस्याओं का निवारण होता है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ0 दिव्यकान्त शुक्ल ने अपने अध्यक्षीय आशीर्वचन में कहा कि सनातन धर्म में महाकुंभ का विशेष महत्व है। हर 6 साल बाद अर्धकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। वहीं प्रत्येक 12 वर्ष बाद महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। वर्षों से इस दिन का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। लगभग 12 वर्षों बाद महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है, जिसमें दुनियाभर के लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे।

कार्यक्रम की अगली कड़ी में प्रदेश निरीक्षक शेषधर ने कार्यक्रम की प्रस्ताविकी रखते हुये कहा कि महाकुम्भ का यह आयोजन विश्व का सबसे बड़ा आयोजन होता है जिसमें एक साथ इतनी बड़ी संख्या मे लोग एक जगह पर कुछ समय के लिए एकत्रित होते हैं। विद्या भारती का यह शिविर 11 जनवरी से प्रारम्भ होकर 26 फरवरी तक चलेगा जिसमें विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा जिसमें विशेष रुप से घोष शिविर तथा संस्कार केन्द्र के भैया बहनों का सपरिवार कुम्भ दर्शन प्रमुख है।

इस अवसर पर वात्सलय हॉस्पिटल की निदेशक डॉ. कीर्तिका अग्रवाल, सह क्षेत्र संगठन मंत्री डॉ0 राम मनोहर,प्रान्त प्रचार प्रमुख विक्रम बहादुर सिंह एवं डॉ0 तेजस्विनी अनंत कुमार (अदम्य चेतना फाउण्डेशन) उपस्थित रहे।