प्रदेश के सभी जिलों में सीएसए को प्रशिक्षित करा रही योगी सरकार

प्रदेश के सभी जिलों में सीएसए को प्रशिक्षित करा रही योगी सरकार

प्रदेश के सभी जिलों में सीएसए को प्रशिक्षित करा रही योगी सरकार


- शिक्षा में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए सामाजिक सहभागिता को मिल रहा है बढ़ावा

लखनऊ, 15 अप्रैल (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में शिक्षा को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने और शासन की योजनाओं को पारदर्शी तरीके से लागू कराने के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश में सोशल ऑडिट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है। फिलहाल, इस कार्यक्रम में प्रदेश के 14 जनपदों (अम्बेडकरनगर, अमेठी, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बरेली, अयोध्या, गोंडा, खीरी, रायबरेली, शाहजहांपुर, श्रावस्ती, सीतापुर और सुल्तानपुर) के चयनित कलस्टर सोशल ऑडिटर्स (सीएसए) को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

यह प्रशिक्षण 23 अप्रैल 2025 तक जनपदों के जिला मुख्यालयों पर आयोजित हो रहा है। बता दें कि शासन के निर्देश पर इसका क्रियान्वयन इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा किया जा रहा है।

इनकी अगुवाई में हो रहा प्रशिक्षण

बता दें कि 14 जिलों में संचालित हो रहे इस सोशल ऑडिट कार्यक्रम का संचालन इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के नामित नोडल अधिकारी प्रो. एच. एम. आरिफ, डॉ. आरीना तथा समन्वयक डॉ. वान्या की देखरेख में सुचारु रूप से किया जा रहा है। प्रत्येक सत्र में 20 से 60 तक प्रतिभागियों को प्रशिक्षण मिल रहा है, जो 10 से 18 ब्लॉकों को कवर कर रहे हैं। अब तक 270 से अधिक सीएसए को प्रशिक्षण मिल चुका है।

क्या है प्रशिक्षण का उद्देश्य

महानिदेशक स्कूल, कंचन वर्मा का कहना है कि प्रशिक्षण का उद्देश्य विद्यालयों में ड्रेस, पाठ्य-पुस्तक वितरण, एमडीएम, पोषण आहार, बुनियादी ढांचे की सुविधा, समावेशी शिक्षा जैसी क्रियान्वित योजनाओं पर नजर रखना प्रमुख उद्देश्य है। इन योजनाओं के ज़मीनी स्तर पर सही क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने में सीएसए की भूमिका निर्णायक होगी।

बोले बेसिक शिक्षा मंत्री

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उनकी उसी सोच की व्यावहारिक अभिव्यक्ति है। सरकार अब शासन में 'सामाजिक जवाबदेही और जन-सहभागिता' को नई दिशा दे रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों गरीब बच्चों को इससे सीधा लाभ मिलेगा। जब योजना की निगरानी उसी समाज के प्रशिक्षित लोगों द्वारा होगी, तो लागू की गयी योजनाएं बेहतर क्रियान्वित होंगी और बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता में भी सुधार होगा।