गंगा तट पर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच 'नवसंवत्सर' का स्वागत

मां गंगा का दुग्धाभिषेक कर काशी में सुख समृद्धि के लिए मंगल कामना, वेदपाठी बटुकों ने किया धार्मिक अनुष्ठान

गंगा तट पर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच 'नवसंवत्सर' का स्वागत

वाराणसी, 02 अप्रैल। काशीपुराधिपति की नगरी में बासंतिक चैत्र नवरात्र और सनातनी नवसंवत्सर यानी हिंदू नववर्ष को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह रहा। तड़के ही लोग गंगा तट पर पहुंच गये। पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उगते सूर्य को अर्घ्य देकर नवसंवत्सर का स्वागत किया।

शंकराचार्य घाट, केदारघाट सहित कई घाटों पर वेदपाठी बटुकों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नववर्ष का स्वागत कर धार्मिक अनुष्ठानों के बीच वैदिक परंपराओं का निर्वहन किया। नवसंवत्सर पर सुबहे बनारस की अदभुत छटा देख घाटों पर मौजूद देशी विदेशी पर्यटक नागरिक आह्लादित दिखे। नवसंवत्सर पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दशाश्वमेध घाट पर वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मां गंगा का दुग्धाभिषेक कर पूजन अर्चन किया।

बजरंग दल के निखिल त्रिपाठी 'रुद्र' के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने मां गंगा से काशीवासियों की सुख समृद्धि के लिए मंगल कामना की। इस दौरान निखिल त्रिपाठी ने कहा कि हम हिन्दू नव वर्ष 2079 में प्रवेश कर रहे हैं। यह ऐसा समय होता है, जब हम अपने अतीत से सीख लेते हुए भविष्य की ओर बढ़ते हैं। कोरोना संक्रमण के कारण बिता साल अत्यंत ही कठिनाई भरा और दुखद वर्ष रहा, लेकिन भारत अतीत की ओर न देखते हुए भविष्य की ओर देख रहा है। हमें नूतन वर्ष में एक बेहतर कल के लिए आशा और दृढ़ता बनाए रखना होगा। मां गंगा और ईश्वर से प्रार्थना है कि नव वर्ष हमें महामारी के बाद नई दुनिया को फिर से बसाने और नए सिरे से काम करने का अवसर देगा। सनातनी नववर्ष पर अस्सीघाट पर सुबहे बनारस की आरती के दौरान गंगा की पूजा और उदय होते भगवान सूर्य का विधिवत पूजन अर्चन किया गया। लोगों ने मंदिरों और घाटों पर वैदिक रीति रिवाजों के साथ आरती और अनुष्ठान के साथ हवन पूजन भी किया।