संस्कृत के मूर्धन्य आचार्य प्रो कमलेश दत्त त्रिपाठी के निधन पर श्रद्धांजलि सभा
संस्कृत के मूर्धन्य आचार्य प्रो कमलेश दत्त त्रिपाठी के निधन पर श्रद्धांजलि सभा
प्रयागराज, 04 दिसम्बर । इलाहाबाद विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के महामहोपाध्याय आचार्य प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी के निधन पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि उन्होंने संस्कृत विभाग से ही स्नातक, परास्नातक एवं डी.फिल. की उपाधि प्राप्त की थी। वह न केवल संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान थे, अपितु नाट्यशास्त्र के प्रख्यात अध्येता तथा उसके सिद्धान्त एवं व्यावहारिक पक्षों में पूर्णतः प्रवीण थे। नाट्यकला के अभिनय में वे एक कुशल अभिनेता भी थे।
संस्कृत विभाग के प्रो. अनिल प्रताप गिरि ने कहा कि आज संस्कृत के आकाश का देदीप्यमान नक्षत्र अस्त हो गया है। प्रो. त्रिपाठी संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित अभिज्ञान-शाकुन्तलम् के नाट्य मंचन में दुष्यन्त की भूमिका का अभूतपूर्व अभिनय किया करते थे। चाणक्य के चरित्र के अभिनय में भी प्रो. त्रिपाठी अत्यंत ही निपुण थे। आचार्य त्रिपाठी भारतीय ज्ञान परम्परा के मूर्धन्य विद्वान थे। नाट्यशास्त्र और शैवागम दोनों में ही उनकी दक्षता अपूर्व थी। साहित्य शास्त्र के साथ रंगमंचीय सिद्धांतों को इतनी गहराई से समझने वाला अब दुर्लभ है।
विभाग के समन्वयक प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र ने बताया कि आचार्य त्रिपाठी ज्ञान के साथ सहज व्यक्तित्व के धनी थे, जो गरिमा और विनम्रता का अद्भुत समन्वय था। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र रहा होगा जो आचार्य के शोध का क्षेत्र न हो उनकी ज्ञानलिप्सा जीवन के अंतिम दिनों तक वर्तमान रही। ऐसे ही व्यक्तित्व इतिहास का निर्माण करते हैं।
कार्यक्रम के संचालक डॉ प्रचेतस ने बताया कि देश-विदेश में भारतीय परम्परा को स्थापित करने हेतु सदियों तक आचार्य त्रिपाठी को याद किया जाएगा। प्रोफ़ेसर त्रिपाठी कालिदास अकादमी के कई बार निदेशक भी रहे तथा इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी के निदेशक के रूप में भी अपनी अभूतपूर्व सेवाएं प्रदान की।
इविवि की पीआरओ डॉ जया कपूर ने बताया कि श्रद्धांजलि सभा में डॉ निरुपमा त्रिपाठी, डॉ विनोद कुमार, डॉ रजनी गोस्वामी, डॉ रश्मी यादव, डॉ रेनू कोछड शर्मा, डॉ मीनाक्षी जोशी, डॉ कल्पना कुमारी, डॉ लेखराम दन्नाना, डॉ सन्दीप यादव, डॉ विकास शर्मा आदि ने अपनी शोक संवेदना एवं श्रद्धांजलि अर्पित की। शोक श्रद्धांजलि सभा में संस्कृत विभाग के विभागीय आचार्य, शिक्षक, कर्मचारी तथा बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।