रावण वध से प्रजा में छाई खुशियां , दुष्टता पर हुई अच्छाई की जीत

लखनपुरी में जगह-जगह हुआ रावण दहन, खुशी से मनाया गया दशहरा

रावण वध से प्रजा में छाई खुशियां , दुष्टता पर हुई अच्छाई की जीत

लखनऊ, 05 अक्टूबर। त्रेतायुग में आतताई राक्षसराज रावण का वध कर श्रीराम ने सत्य और सभ्य समाज की स्थापना की थी। उसी के प्रतीक के रूप में बुधवार को दशहरा पर रावण का वध कर दहन किया गया। लखनपुरी में जगह-जगह मनाया गया और लोगों ने त्योहार की खुशियां मनाई।

शहर में हो रही रामलीला में रावण वध की लीला दिखाई गई। श्रीराम के सेना और और लंकापति रावण की राक्षस सेना में भयंकर युद्ध हुआ। ऐसा महासमर पहले कभी नहीं हुआ होगा। कई तीर मारने के बाद भी रावण नहीं मरा तो विभीषण ने उसके अंत का राज बताया कि उसकी नाभि में अमृत है, तब रावण ने अमोघ बाण उसकी नाभि में मारकर वध कर दिया। श्रीराम की विजय हुई। वानर सेना राम की जयजयकार करने लगी।

उसके बाद रावण के पुतले का दहन किया गया। जनता ने बुराई के प्रतीक रावण के पुतले को दहन कर खुशियां मनाई। मौसमगंज रामलीला, सदर राम लीला व ऐशबाग रामलीला सहित अन्य जगहों पर भी राावण वध व दहन किया गया। मौसमगंज रामलीला समिति के अध्यक्ष घनश्याम अग्रवाल ने बताया कि मौसम खराब होने के कारण कार्यक्रम को जल्दी ही कर दिया गया, जिससे लीला देखने आए लोगो को दिक्कते न हो।



ऐशबाग रामलीला में इस बार कुम्भकर्ण व मेघनाथ के पुतले नहीं जलाए गए। लगभग तीन सौ साल पुरानी परम्परा इस बार टूट गई। ऐशबाग रामलीला समिति के अध्यक्ष हरीश चंद्र अग्रवाल ने बताया कि रावण का पुत्र मेघनाद और भाई कुम्भकर्ण ने रावण को परामर्श दिया था कि सीता माता साक्षात मां जगदम्बा है, इसलिए आदर के साथ श्रीराम को लौटा दीजिए, लेकिन रावण ने ऐसा करने से मना कर दिया और युद्ध के लिए प्रेरित किया। तब न चाहते हुए भी अपना धर्म समझ कर उन दोनो ने युद्ध किया और प्रभु के हाथों से मृत्यु को प्राप्त होकर अपना उद्धार किया। ऐसा प्रसग गोस्वामी तुलसी दास रचित रामचरित मानस के लंकाकाण्ड में आया है। रावण दहन के बाद सर्वत्र श्रीराम की जयजयकार हुई। रावण दहन से जनता ने खुशियां बनाई।