महाकुम्भ : कैद से 'रिहा' हो रहा बंदियों का हुनर, दुनिया के लिए मॉडल बना यूपी
जेल की सलाखों के पीछे गढ़ी कला को मिल रहा वैश्विक मंच - बंदियों के हुनर को देख दंग रह गए दुनिया भर के श्रद्धालु
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महाकुम्भनगर, 20 फरवरी । योगी का यूपी अब दुनिया के लिए एक आदर्श मॉडल बनने जा रहा है, जो देश ही नहीं विदेशों के लिए भी अनुकरणीय होगा। उत्तर प्रदेश की जेलें अब सिर्फ सजा भुगतने की जगह नहीं, बल्कि सुधार और आत्मनिर्भरता के केंद्र बन चुकी हैं। इसकी बानगी संगम तीरे दुनिया के सबसे बड़े महाकुम्भ में देखने को मिल रही है, जहां जेल की सलाखों के पीछे गढ़ी गई कला को वैश्विक मंच मिला है। जो हाथ कभी अपराध की राह पर थे, वे अब हुनर और ईमानदारी की मिसाल पेश कर रहे हैं। ये कैदी अब ओडीओपी (एक जनपद-एक उत्पाद), लोकल फॉर वोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान को साकार कर रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के संकल्प में सहभागी बन रहे हैं। खूंखार, दुर्दांत, शातिर, जिनके नाम का सिंबल बन चुका हो, वह अचानक बदल जाएं। बदले की भावना को छोड़कर समाज की रक्षा का संकल्प करने लगे तो इसे चमत्कार ही कहा जाएगा। कुछ ऐसा ही संगम तीरे महाकुम्भ में देखने को मिल रहा है।
कारागर प्रशासन एवं सुधार सेवाएं की ओर से महाकुम्भ में प्रदर्शनी व बिक्री केंद्र बनाया गया है। महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर-01, परेड क्षेत्र त्रिवेणी रोड पर स्थित प्रदर्शनी व विक्रय केंद्र में प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा द्वारा बंदियों में छिपी कलाकारी को उभारने की सराहना भी मिल रही है। महाकुम्भ में प्रदेश के 27 जेलों के बंदियों के बनाए गए 150 उत्पादों की प्रदर्शनी में सलाखों के पीछे कैद हाथों का हुनर हर आने-जाने वाले को हैरान कर रहा है। त्रिवेणी मार्ग पर लगी प्रदर्शनी में खाने के सामान से लेकर सजावटी आइटम्स तक रखे गए हैं। गाजियाबाद जेल के बंदियों की पेंटिंग लोगों को लुभा रही है तो आगरा जेल के बने जूते भी खूब पसंद किए जा रहे हैं। वहीं, मथुरा जेल के बंदियों के बनाए भगवान के पोशाक अपनी खूबसूरती के चलते लोगों को अपनी ओर खींच लेते हैं तो मिर्जापुर-भदोही जेल के बंदियों के कालीन भी आकर्षण का केंद्र बने हैं।
नैनी जेल के अनुदेशक दशरथ प्रसाद ने 'हिन्दुस्थान समाचार' से खास बातचीत में बताया कि बंदियों के हुनर को लोगों के सामने लाना इस प्रदर्शनी का उद्देश्य है। साथ ही यह भी बताना है कि जेल बंदियों के कौशल को निखारकर उन्हें प्रोत्साहित करने वाला स्थल भी है। प्रदर्शनी की व्यवस्था में लगे अधिकारियों का दावा है कि उनके कारागार में बंदियों द्वारा निर्मित उत्पाद बाजार से सस्ते और अच्छे हैं। यहां 300 रुपये में जूता से लेकर 100 रुपये में रसोई का सामान मिल रहा है। खाने का सामान, घरेलू सामान, बच्चों का सामान, सफाई का सामान, पूजन सामग्री, धागा और मिट्टी से निर्मित अलग-अलग सामान बिक रहा है। अलग-अलग जेल में निर्मित उत्पाद की विशेषता है। यहां नैनी व बरेली सेंट्रल जेल का फर्नीचर, झांसी का टेडी बियर, मिर्जापुर-भदोही की कालीन, मैनपुरी का सजावटी सामान, अलीगढ़ का शंख, वाराणसी का शिवलिंग, गाजियाबाद की मोमबत्ती, कन्नौज की धूपबत्ती काफी अलग है। प्रतापगढ़ के आंवले का अचार, मैनपुरी की 12 हजार की पेंटिंग, रामपुर का सूट, आगरा की साड़ी, मुजफ्फर नगर का बैग, फतेहपुर का झोला, आगरा के जूते, गेंहू की बाली से बने हनुमानजी बिक रहे हैं।
दो रुपये से 12 हजार तक के आइटम
प्रदर्शनी में अलग-अलग मूल्य वर्ग के उत्पादों की बड़ी रेंज शामिल है। यहां घर में रोजाना इस्तेमाल होने वाले दो रुपये के मिट्टी दीये से लेकर 12 हजार की तारकशी पेंटिंग तक मौजूद है। 5100 रुपये मूल्य की गाजियाबाद जेल में बनी संगम तट की पेंटिंग अपनी खूबसूरती यहां आने वाले हर शख्स को अपनी ओर खींचे चले आने पर मजबूर कर देती है। 11 जनवरी से अब तक प्रदर्शनी में करीब सात लाख की बिक्री हो चुकी है। यह राशि संबंधित जेल के खाते से होकर उस बंदी के कल्याण कोष में जमा कराई जाएगी, जिसके बनाए उत्पादों की बिक्री हुई है।
किचन के सामान संग खिलौने भी
प्रदर्शनी में जो अन्य उत्पाद आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, उनमें नैनी जेल में बने किचन आइटम्स से लेकर झांसी जेल में निर्मित सॉफ्ट खिलौने आदि शामिल हैं। इसी तरह बरेली जेल में बनी फोल्डिंग चेयर, चित्रकूट जेल में बनाए गए महाकुंभ के कुर्ते, फतेहगढ़ जेल में बनी दरी, प्रतापगढ़ जेल में बने आंवला फूड प्रोडक्ट, नैनी जेल में बना सोफा आदि भी देखने वाले का मन मोह रहे हैं।
इको-फ्रेंडली थैलों से स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की अलख
प्रयागराज महाकुम्भ मेले में प्रदूषण व गंदगी से मुक्ति के लिए फतेहपुर जिला जेल के कैदी अपने हुनर से रंग-बिरंगे इको फ्रेंडली कॉटन और जीन्स के थैले तैयार किए हैं, जो स्वच्छता भारत अभियान को धार देने के साथ दुनिया भर में स्वच्छता की अलख जगाएंगे। साथ ही जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देंगे। महाकुम्भ प्रदर्शनी में ये कॉटन के थैले 10 रुपये में बेचे जा रहे हैं। रंग-बिरंगे थैलों में ऊं. सर्वसिद्धप्रद: कुम्भ महाकुम्भ प्रयागराज 2025 प्रिंट कराया गया है। वहीं जीन्स के झोलों की कीमत 100 रुपये है।
जेल को किसी भी दशा में अपराधियों की शरणस्थली नहीं बनने देगी योगी सरकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश हैं कि जेलों में बंद अपराधी किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधियों का संचालन न कर सकें। जेल किसी भी दशा में अपराधियों की शरणस्थली नहीं बननी चाहिए। उनका मानना है कि सामान्यत: हर इंसान अच्छे होते हैं इसलिए कोई भी व्यक्ति जो जेल में बंदी के रूप में रह रहे हैं, उन्हें सुधार का अवसर प्रदान करना चाहिए। सामान्य तौर पर जेल में बंद बंदियों के प्रति समाज में नकारात्मक भावना रहती है। इसमें परिवर्तन की आवश्यकता है।