भगवान बुद्ध ने दिया स्वस्थ रहने का सरल ज्ञान ''स्पर्श ध्यान''
भगवान बुद्ध में भी स्पर्श चिकित्सा की शक्ति थी
प्रयागराज, 16 मई । भगवान बुद्ध का उद्देश्य निरोगी जीवन के साथ-साथ लोगों को मोक्ष दिलाना था। उनके अंदर भी स्पर्श चिकित्सा की शक्ति थी। वह अपने शिष्यों को स्पर्श-ध्यान-शक्ति का अभ्यास कराते थे। इसीलिए हजारों वर्ष पूर्व उन्होंने स्पर्श चिकित्सा की एक क्रिया कराई थी, जिसका नाम ''अन्ना पानी दीपनी'' था। इस क्रिया से नाड़ी की सफाई हो जाती थी। इसीलिए इसे नाड़ी शोधन भी कहा जाता था।
यह विचार बुद्ध पूर्णिमा पर सोमवार को मधुबन बिहार स्थित प्रयागराज रेकी सेंटर पर आयोजित स्पर्श-ध्यान के विशेष कार्यक्रम शिविर में स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने स्पर्श ध्यान की मदद से जीवन में मन को एकाग्र रखने की कला का निःशुल्क प्रशिक्षण के उपरांत व्यक्त किया।
उन्होंने यह भी बताया कि जिस व्यक्ति की बाईं नासिका ज्यादा चलती है, वह आराम तलब होता है। इन लोगों को निम्न रक्तचाप की शिकायत हो सकती है। और जिस व्यक्ति की दाईं नासिका ज्यादा चलती है वह गुस्सैल प्रकृति का होता है। इस तरह के लोगों को उच्च रक्तचाप होने की सम्भावना ज्यादा होती है।
सतीश राय ने कहा कि स्पर्श ध्यान मन को शांत रखता है। इसलिए स्वस्थ एवं अच्छा जीवन जीने के लिए स्पर्श ध्यान करना बहुत जरूरी है। इससे शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ-साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे। कहा कि, वर्तमान में लोगों के अंदर भौतिक क्षेत्र में आगे बढ़ने की होड़, आधुनिक जीवन, अनियमित खानपान और प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन करने के कारण लोगों को बड़ी एवं गंभीर बीमारियां हो रही हैं। जिस कारण लोगों को डिप्रेशन हो रहा है, नींद नहीं आ रही है। ऐसे में इसका सबसे सरल इलाज स्पर्श ध्यान है, जिसमें बिना पैसा खर्च किए लोग स्वस्थ रह सकते हैं।
उन्होंने बताया कि स्पर्श ध्यान प्रशिक्षण में दूर-दूर से आए सरिता प्रधान, ज्योति दुबे, राजेश मौर्या, दीपक यादव, डॉ अमित, डॉ मनोज, संगीता, माया पांडेय, अमृता सिंह, आदि लोगों ने भाग लेकर इसका लाभ उठाया।