प्रयागराज में पुलिस के घोड़ों को मिल रहा 'एथलीट-लेवल' ट्रीटमेंट

गर्मी से बचाने के लिए स्पेशल डाइट और कूलिंग व्यवस्था

प्रयागराज में पुलिस के घोड़ों को मिल रहा 'एथलीट-लेवल' ट्रीटमेंट

प्रयागराज, 16 जून। संगम नगरी प्रयागराज इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है, जिसका असर न केवल आम जनजीवन पर पड़ रहा है, बल्कि पुलिस विभाग के उन खास सदस्यों पर भी पड़ रहा है जो लगातार ड्यूटी पर मुस्तैद रहते हैं – यानी पुलिस के घोड़ों पर। रिजर्व पुलिस लाइन में तैनात ये घोड़े विभाग की शान और सुरक्षा का एक अभिन्न अंग हैं, और बढ़ती गर्मी को देखते हुए उनकी सेहत और आराम सुनिश्चित करने के लिए अब विशेष प्रबंध किए गए हैं। यह व्यवस्था सामान्य पशुपालन से कहीं बढ़कर है; इसे 'एथलीट-लेवल' ट्रीटमेंट कहा जा रहा है, जिसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण, पशु चिकित्सकों की निगरानी और वरिष्ठ अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी शामिल है।

अस्तबल में कूलरों का जाल और विशेष समर डाइट प्लान:

घोड़ों को गर्मी की चुभन से बचाने के लिए, रिजर्व पुलिस लाइन के अस्तबल में लगभग 8 बड़े कूलर लगाए गए हैं। ये कूलर अस्तबल के तापमान को नियंत्रित रखने और घोड़ों को आरामदेह माहौल देने में मदद करते हैं, जिससे उन्हें हीट स्ट्रेस का खतरा कम होता है। कूलिंग के साथ-साथ, घोड़ों के लिए एक विशेष ‘समर डायट प्लान’ भी तैयार किया गया है। यह डाइट प्लान पूरी तरह से वैज्ञानिक आधार पर वेटनरी डॉक्टर की सलाह और देखरेख में बनाया गया है।

पोषण और हाइड्रेशन पर विशेष ध्यान:

इस विशेष डाइट का मुख्य उद्देश्य घोड़ों को गर्मी में भी ऊर्जावान, स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखना है। उनकी डाइट हर घोड़े के वजन, उम्र और ड्यूटी शेड्यूल के अनुसार तय की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें उनकी जरूरत के हिसाब से सही पोषण मिले।

  • सुबह का आहार: दिन की शुरुआत हल्के लेकिन ऊर्जावान चारे से होती है। इसमें मुख्य रूप से ओट्स, चना, गुड़ और आवश्यक मिनरल मिक्स शामिल होते हैं। यह मिश्रण घोड़ों को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है और उन्हें दिनभर की गतिविधियों के लिए तैयार करता है।
  • खास सप्लीमेंट्स: गर्मी में डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन से बचाने के लिए, घोड़ों को ग्लूकोन-डी, सफेद नमक, काला नमक और सेंधा नमक का एक विशेष मिश्रण दिया जाता है। यह मिश्रण उनके शरीर में पानी और खनिज पदार्थों का स्तर बनाए रखने में मदद करता है। पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने और शरीर का तापमान संतुलित रखने के लिए, उनकी डाइट में रोजाना 100 मिली अलसी का तेल भी शामिल किया गया है।
  • दोपहर और शाम का भोजन: दोपहर में भोजन की मात्रा थोड़ी कम रखी जाती है, ताकि गर्मी के कारण पाचन तंत्र पर अतिरिक्त भार न पड़े। शाम को, उन्हें फिर से हरा चारा, चूनी और इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर पानी दिया जाता है, जो दिनभर की थकान के बाद उनके शरीर को रिकवर करने में मदद करता है।

नियमित स्वास्थ्य जांच और पानी की व्यवस्था:

रिजर्व पुलिस लाइन में तैनात आर आई एमपी इंद्रपाल सिंह के अनुसार, घोड़ों के लिए पानी की व्यवस्था पर भी कड़ी निगरानी रखी जाती है। गर्मी में उन्हें दिन में कम से कम 5 बार पानी पिलाया जाता है। पानी की मात्रा और समय भी पशु चिकित्सक की सलाह से तय होता है। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि घोड़ों को अचानक बहुत ठंडा या अत्यधिक मात्रा में पानी न दिया जाए, क्योंकि इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

पुलिस लाइन के पशु चिकित्सक नियमित रूप से यानी हर सप्ताह घोड़ों का हेल्थ चेकअप करते हैं। किसी भी घोड़े में थकावट, डिहाइड्रेशन, या किसी भी प्रकार के चर्म रोग (skin disease) के लक्षण दिखते ही तुरंत मौके पर ही इलाज शुरू कर दिया जाता है। यह त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करती है कि कोई भी छोटी समस्या गंभीर रूप न ले।

अधिकारियों का सक्रिय योगदान और दूरगामी प्रभाव:

इस पूरी व्यवस्था की सफलता में पुलिस अधिकारियों का सीधा हस्तक्षेप और नियमित मुआयना भी महत्वपूर्ण है। अधिकारी खुद अस्तबल की सफाई व्यवस्था, कूलिंग सिस्टम के संचालन और भोजन की गुणवत्ता का जायजा लेते हैं। उनका स्पष्ट मानना है कि ये घोड़े सिर्फ ड्यूटी के साथी नहीं हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग की गरिमा का प्रतीक हैं। इसलिए, उनकी सेहत और देखभाल को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।

प्रयागराज पुलिस लाइन द्वारा घोड़ों की देखभाल के लिए उठाया गया यह कदम अब एक 'मॉडल' के रूप में देखा जा रहा है। इस पहल की सफलता को देखते हुए, इसे प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू करने की तैयारी चल रही है, जहां पुलिस के घुड़सवार दस्ते तैनात हैं। यह दर्शाता है कि आधुनिक पुलिसिंग में न केवल तकनीक और मानव संसाधनों पर ध्यान दिया जाता है, बल्कि अपने एनिमल पार्टनर की देखभाल के प्रति भी विभाग पूरी तरह से संवेदनशील और प्रतिबद्ध है।