कानपुर : शारदीय नवरात्र में मां कुष्माण्डा देवी के दर्शन को उमड़ी भक्तों की भीड़

माता कुष्मांडा देवी पर भक्त चढ़ाते है कुम्हड़ा

कानपुर : शारदीय नवरात्र में मां कुष्माण्डा देवी के दर्शन को उमड़ी भक्तों की भीड़

कानपुर, 12 अक्टूबर । कानपुर से महज 45 किलोमीटर दूर घाटमपुर तहसील में स्थित मां कुष्मांडा देवी का मंदिर है जिसकी खास मान्यता है। नवरात्र के दौरान यहां पर मेला लगता है और दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन पूजन को आते हैं। यहां श्रद्धा के साथ पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।

यह मंदिर में नौ देवियों में मां के चौथे स्वरूप की प्रतिमा विराजमान है, जो मां कुष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है और यह कानपुर-सागर पर घाटमपुर में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता है कि मंदिर प्रांगण में बने तालाब में स्नान करने से भक्त को माता के दर्शन मिलते हैं। उसकी सभी शारीरिक विपदाएं दूर हो जाती है। इतना ही नहीं माता की मूर्ति से निकलने वाले नीर को आंख में लगाने से लोगों की नेत्र विकार की समस्या भी दूर हो जाती है। नवरात्र में माता के दर्शन पाने के लिए दूर-दूर से आये हजारों की संख्या में भक्तों का यहां तांता लगा रहता है।

कोरोना काल के चलते बीते नवरात्रों में कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए मंदिरों के पट नहीं खुले गए थे, जिससे भक्त माता के दर्शन पाने से वंचित रह गए थे। इस शारदीय नवरात्र में कोरोना का कहर कम हो जाने के चलते सभी मंदिरों के पट भक्तों के दर्शन के लिए दिये गए हैं। मंदिर प्रांगण में आये भक्तों ने माता के जयकारे लगाएं। जिसकी गूंज मंदिर परिसर से दूर-दूर तक सुनाई दी।

आपको बताते चलें कि, माता का चौथा सिद्धपीठ स्वरूप मां कुष्मांडा देवी का मंदिर आसपास के जिलों में नहीं है। यहां नवरात्रों में माता के दर्शन पाने के लिए लाखों की तादात में भक्त दूर-दूर से आते हैं। नवरात्र में भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर के पुजारी के अनुसार माता को कुम्हड़ा बहुत प्रिय है। मंदिर में आये भक्तों द्वारा माता को कुम्हड़े का भोग लगाया जाता है। यहां भक्त घी के दिये जलाकर दीप दान भी करते हैं। नवरात्रों के चौथे दिन मंदिर परिसर में भक्तों की अपार भीड़ दर्शन पूजन को आती है और जयकारों से गूंजता रहा। यहां अगर साज-सज्जा की बात की जाए तो मंदिर परिसर रंग-बिरंगी लाइटों की रोशनी से अपनी छठा बिखेर रहा था। शाम होते मंदिर का यह नजारा किसी अद्भुत छटा से कम नहीं लगता।

मंदिर के पुजारी व लोगों की माने तो माता कुष्मांडा की नाभि से निकले नीर को आंखों में लगाने मात्र से लोगों की आखों की समस्या दूर हो जाती है। मंदिर में जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ माता के दर्शन करता है, माता कुष्माण्डा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती है।

कोरोना काल के चलते मंदिर के बाहर दुकान लगाए दुकानदारों की कमर तोड़ दी थी। लेकिन हालत सुधरने के बाद नवरात्र में मंदिर के पट खुलने से दुकानदारों ने राहत की सांस ली है। मंदिर के बाहर मिष्ठान व फूलों की दुकान लगाए दुकानदारों के चेहरों पर खुशी की लहर देखने को मिल रही है।

सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से मंदिर परिसर में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए गए हैं। मंदिर परिसर में महिला व पुरुष पुलिस चारों तरफ तैनात कर दी गई है। पुलिस प्रशासन ने मंदिर परिसर में दर्शन करने आये सभी लोगों पर अपनी पैनी निगाह बनाये रखी है और कतार लगाकर दर्शन कराकर बेहतर व्यवस्था रखी जा रही है।