हरितालिका तीज व्रत 30 को, प्रथम बार देवी पार्वती ने रखा यह व्रत
अखण्ड सौभाग्य की कामना के साथ सुहागिनें रखती है व्रत
हरितालिका तीज महाव्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा। अखण्ड सौभाग्य की कामना के साथ सुहागिनें भादों मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को इस व्रत को रखती है। पौराणिक मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में वरण करने के लिए इस तप साध्य व्रत को रखा था। लखनपुरी के पुराने इलाकों में इस तिथि में भगवान शंकर की झांकिया सजती हैं।
ठाकुर प्रसाद पंचांग एवं चिंता हरण जंत्री के अनुसार इस साल हरितालिका तीज व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा। पं. अनिल कुमार पाण्डेय ने भी बताया कि यह व्रत 30 तारीख को किया जाएगा। हिन्दी कैलेण्डर के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को यह व्रत रखा जात है।
धर्मग्रंथों के अनुसार यह बडा तपपूर्ण व्रत है। सुहागिनें इस व्रत को निर्जला रखती है। रात को जागरण करते हुए भगवान शिव का भजन करती हैं । व्रत में दूसरे दिन सुबह एक बार पुनः भगवान की पूजा करके ही व्रत पूर्ण किया जाता है। इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
पौराणिक आख्यान है कि देवी पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इस व्रत को किया था। व्रत की कथा इस प्रकार है कि मनोकूल वर प्राप्ति के लिए देवी पार्वती ने घनघोर वन में निराहार रहकर तपस्या की। देवी ने एक पर्वत की कंदरा में शिवलिंग बनाकर अर्चना आरंभ की। तप से भगवान शिव का आसन डोल गया। वह देवी के सामने प्रकट हुए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करने का वचन देकर अन्तर्धान हो गए। देवी के पिता हिमवान ने सारी बात जानकर उनका शिव जी विवाह कर दिया।