संस्कृति नई पीढ़ी से जीवित रहती है : योगेन्द्र नारायण
-महाकुम्भ सामाजिक समरसता का संवाहक : न्यायमूर्ति
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महाकुम्भ नगर, 24 फरवरी (हि.स.)। जब हम अच्छे उद्देश्य की ओर बढ़ते हैं तो छोटी-छोटी बुराइयों को भूल जाते हैं, यही हमारी संस्कृति है। संस्कृति किसी देश की पहचान होती है। संस्कृति नई पीढ़ी द्वारा जीवित रहती है। इसलिए जरूरी है कि हमारे नवयुवक अपनी भारतीय संस्कृति को समझें और अनुपालन करें।
उक्त विचार मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव एवं भारत सरकार के पूर्व रक्षा सचिव योगेन्द्र नारायण ने सोमवार को महाकुम्भ मेला क्षेत्र सेक्टर 8 स्थित उच्च शिक्षा निदेशालय शिविर में इण्टरनेशनल गुडविल सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में आयोजित “महाकुम्भः सांस्कृतिक विरासत” विषयक संगोष्ठी में व्यक्त किया।
विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग की सदस्य डॉ. कीर्ति गौतम ने कहा कि प्रयागराज का ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व तो है ही, साथ-साथ ज्ञान कुम्भ और विमर्शों की दृष्टि से यह महत्त्वपूर्ण है। विशिष्ट अतिथि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पूर्व सदस्य प्रो. के.सी शर्मा ने महाकुम्भ में प्रेम, करुणा, परोपकार और अपनत्व की भावना को महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम संयोजक, उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. अमित भारद्वाज ने नागरिक समाज की जागृति को जरूरी बताया।
अध्यक्षता करते हुए उच्च न्यायालय प्रयागराज के न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने कहा कि महाकुम्भ सामाजिक समरसता का सम्वाहक है। भेदभाव रहित इसकी विशेषता है। विश्व परिवार की संकल्पना और जन कल्याण भाव हमें महाकुम्भ में दिखाई देता है। इस महाकुम्भ में कई पीढ़ियों को हम एक साथ देख सकते हैं। सामाजिक समरसता, परिवार भाव, बड़ों का सम्मान एवं आदर हमारी संस्कृति की पहचान है। कुम्भ एक सतत परम्परा और विरासत है।
कार्यक्रम सचिव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि गुडविल विश्व शान्ति एवं सौहार्द्र के लिये जरूरी है। महाकुम्भ इसके लिए सुअवसर है। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में नागरिक समाज, विद्यार्थी, अधिकारी एवं विद्वज्जन शामिल हुए। बता दें कि, इण्टरनेशनल गुडविल सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया के संस्थापक अध्यक्ष इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के प्रेसीडेंट रहे पद्म विभूषण जस्टिस नागेन्द्र हैं।