कन्नड़ और हिन्दी का निरंतर सम्बंध पोषण हुआ : प्रो विक्रम विसाजी
कन्नड़ और हिन्दी साहित्य के अंतर्संबंध विषयक व्याख्यान
प्रयागराज, 15 अप्रैल । इलाहाबाद विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग में कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय के कन्नड़ विभाग के प्रोफेसर विक्रम विसाजी ने कहा कि भक्ति आंदोलन से लेकर आधुनिक काल तक कन्नड़ और हिन्दी का निरंतर सम्बंध पोषण हुआ है। नौवीं शताब्दी में कन्नड़ की पुस्तकें प्राप्त होना शुरू होती हैं। इन सभी प्रारम्भिक पुस्तकों में संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं की प्रेरणा स्वाभाविक रूप में मौजूद है।
शनिवार को कन्नड़ और हिन्दी साहित्य के अंतर्संबंध विषयक व्याख्यान में उन्होंने कहा कि आज कन्नड़ साहित्य भी आधुनिक भाव बोध को उसी प्रकार से जीता है जैसा कि आधुनिक भारतीय भाषाओं में देखने को मिलता है। मानवता, मूल्यबोध, समानता, आधुनिकता और राष्ट्र निर्माण कन्नड़ साहित्य को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान करते हैं। उन्होंने हिन्दी और कन्नड़ साहित्य के तुलनात्मक अध्ययन पर जोर दिया। इस अवसर पर श्रीमती विसाजी भी मौजूद थीं।
द्वय अतिथियों का स्वागत हिन्दी विभाग के डॉ राजेश कुमार गर्ग ने किया। कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ शिव कुमार यादव ने किया। कार्यक्रम में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ वीरेन्द्र कुमार मीणा, डॉ अंशुमान कुशवाहा, डॉ जनार्दन सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे। अतिथि व्याख्यान के पूर्व उपस्थित राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने गर्मियों में गौरैया आदि पक्षियों के संरक्षण, पोषण और उनकी व्यक्तिगत चिंता और सेवा करने का संकल्प भी लिया।