छत्तीसगढ़ :मुख्यमंत्री एयरपोर्ट पर शहीद विप्लव त्रिपाठी को करेंगे पुष्पांजलि अर्पित

छत्तीसगढ़ :मुख्यमंत्री एयरपोर्ट पर शहीद विप्लव त्रिपाठी को करेंगे पुष्पांजलि अर्पित

छत्तीसगढ़ :मुख्यमंत्री एयरपोर्ट पर शहीद विप्लव त्रिपाठी को करेंगे पुष्पांजलि अर्पित

रायपुर, 15 नवंबर । मणिपुर में सेना के काफिले पर आतंकियों के हमले में शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी और बेटे का पार्थिव शरीर आज सुबह 11 बजे विशेष विमान से छत्तीसगढ़ पहुंचेगा। जहां पुराना एयरपोर्ट टर्मिनल में उन्हें अंतिम सलामी दी जाएगी।सीएम भूपेश बघेल भी इस दौरान एयरपोर्ट पर शहीद विप्लव त्रिपाठी को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे । इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहेंगे।

कल मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शहीद जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की। इससे पहले रविवार शाम तक ही रायपुर एयरपोर्ट पर विशेष विमान से शहीद की देह लाई जा रही थी। मगर विमान में खराबी की वजह से ये मुमकिन नहीं हो सका। जोरहट में सेना के विमान को लैंड कराया गया है। जो अब सोमवार को रायपुर आएगा। यहां जवान पहले उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित करेंगे। विप्लव त्रिपाठी का अंतिम संस्कार सोमवार को रायगढ़ में किया जाएगा।

शनिवार को विप्लव अपने परिवार के साथ पोस्ट से लौट रहे थे। तभी उग्रवादियों ने उनकी गाड़ी पर हमला किया था। उग्रवादियों ने ब्लास्ट कर उनकी गाड़ी को ही उड़ा दिया था।30 मई 1980 को जन्मे विप्लव ने मध्यप्रदेश के रीवा स्थित सैनिक स्कूल से पढ़ाई की थी । उनके पिता सुभाष त्रिपाठी एक सीनियर जर्नलिस्ट हैं । वहीं, उनकी मां आशा त्रिपाठी रिटायर्ड लाइब्रेरियन हैं । स्कूल की पढ़ाई के बाद विप्लव ने नेशनल डिफेंस एकेडमी में एडमिशन लिया और उसके बाद देहरादून में इंडियन मिलिट्री एकेडमी जॉइन किया ।

2001 में विप्लव रानीखेत में कुमाऊं रेजिमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट कमीशन हुए । उसके बाद उन्होंने वेलिंगटन के डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज से कमांड का कोर्स किया । आपको बताते चले कि विप्लव के छोटे भाई अनय त्रिपाठी ने भी रीवा सैनिक स्कूल से पढ़ाई की थी । वो भी आर्मी में हैं और इस समय शिलांग में लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक पर पोस्टेड हैं ।कर्नल त्रिपाठी को देश सेवा की प्रेरणा अपने दादा से मिली । कर्नल त्रिपाठी के दादा किशोरी मोहन त्रिपाठी एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे । अपने दादा से ही प्रेरित होकर ही उन्होंने सेना की वर्दी पहनने की ठानी थी ।