हमें वर्षा जल की एक-एक बूंद को सहेजना होगा : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री योगी ने भूजल सप्ताह के समापन समारोह को सम्बोधित किया
लखनऊ, 22 जुलाई । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को यहां कहा कि जल बहुमूल्य है। हमें वर्षा जल की एक-एक बूंद को सहेजना होगा। अपनी सात पवित्र नदियों में गंगा एवं यमुना सर्वप्रथम आती हैं। गंगा एवं यमुना का पवित्र संगम हमारे प्रदेश में होता है।
योगी ने कहा कि ‘नमामि गंगे’ परियोजना के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गंगा नदी तथा इसकी सहायक नदियों की निर्मलता के लिए जो प्रयास किए हैं, उसके सफल परिणाम आज हम सबके सामने हैं। प्रदेश में भूजल के महत्व, उसके संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति जन-जागरूकता के लिए 16 से 22 जुलाई तक भूजल सप्ताह मनाया गया।
मुख्यमंत्री आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में भूजल सप्ताह के राज्य स्तरीय समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश में जल प्रबन्धन के क्षेत्र में कार्य करने वाले उमाशंकर पाण्डेय (बांदा), अरविन्द अग्रवाल (लखनऊ), जल सहेली श्रीमती नीलम झा (झांसी), संजय सिंह (झांसी) से संवाद किया।
योगी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों की प्राप्त भूजल रिपोर्टों के अनुसार गिरता हुआ भूजल स्तर एक गम्भीर समस्या बन चुकी है। विगत सवा चार वर्षों में हमने प्रदेश को क्रिटिकल से सेमी क्रिटिकल स्थिति में पहुंचाने में सफलता प्राप्त की है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में भूजल स्तर के उन्नयन हेतु वर्ष 2019 में अटल भूजल योजना का शुभारम्भ किया गया। प्रारम्भ में इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश के 10 जिले, 26 ब्लॉक, 595 पंचायतें आच्छादित थीं। वर्तमान में अटल भूजल योजना पूरे प्रदेश में संचालित की जा रही है। आज इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में जल प्रबन्धन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग मॉडल अपनाकर जल प्रबन्धन के कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्षा जल संचयन हेतु चित्रकूट क्षेत्र में तालाबों, कुओं का निर्माण एवं जीर्णोद्धार तथा वाराणसी में निष्प्रयोज्य हैण्डपम्पों का उपयोग जैसे मॉडल अपनाए गए हैं। भूजल में फ्लोराइड, आर्सेनिक जैसे तत्वों को कम करने तथा पानी के खारेपन को दूर करने के निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शुद्ध पेयजल से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपदों में इंसेफेलाइटिस से पहले कई मौतें हो जाती थीं, लेकिन विगत सवा चार वर्षों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छता एवं पाइपलाइन द्वारा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था से इस बीमारी से होने वाली मृत्यु में 95 प्रतिशत की कमी आयी है। स्वच्छ भारत मिशन द्वारा लोगों को शौचालय उपलब्ध कराए गए। इन प्रयासों से हमने डायरिया व अन्य जल जनित बीमारियों से बहुत हद तक निजात पायी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्षा जल संचयन हेतु भूगर्भ जल प्रबन्धन एवं विनियमन अधिनियम-2019 बनाया है। सरकारी भवनों, स्कूल, कॉलेजों की इमारतों तथा प्राधिकरणों के नियमों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि भूजल उन्नयन हेतु प्रत्येक व्यक्ति का प्रयास अनिवार्य है। जब सभी लोग मिलकर भूजल बढ़ाने के लिए कार्य करेंगे तभी हम इस कार्य में सफल हो पाएंगे।
योगी ने कहा कि वृक्ष जल स्तर को बढ़ाने के महत्वपूर्ण घटक हैं। राज्य सरकार द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत वर्ष 2017 से अब तक लगभग 100 करोड़ पौधे रोपित कर उन्हें संरक्षित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रदेश में गंगा यात्रा, गंगा हरितिमा कार्यक्रम शुरू किए गए। गंगा जी के तटवर्ती क्षेत्र को जैविक खेती से जोड़ा जा रहा है। खेत की मेड पर फलदार वृक्ष लगाने वाले किसान को राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क पौधे प्रदान किए जा रहे हैं तथा जैविक वृक्षारोपण अपनाने वाले किसानों को 03 वर्ष तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को अपनी जीवनशैली में जल संरक्षण को अपनाना होगा। बुन्देलखण्ड, विन्ध्य क्षेत्र में ‘हर घर नल योजना’ क्रियान्वित की जा रही है। आने वाले समय में प्रदेश के 50 हजार राजस्व ग्रामों तक यह योजना क्रियान्वित की जाएगी। ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत प्रदेश में नदी संवर्धन एवं जल प्रबन्धन के कार्य संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि माँ गंगा की कृपा से हमारे पास पर्याप्त जल संसाधन हैं और हम उत्तर प्रदेश को विकास के पथ पर निरन्तर आगे ले जाएंगे। इस कार्य में आप सबका योगदान अमूल्य है। हमें सफल होने के लिए जल की एक-एक बूंद को सहेजना होगा।
पूर्व में मुख्यमंत्री ने भूजल प्रदर्शनी का अवलोकन किया। साथ ही, भूजल संसाधन आकलन रिपोर्ट का विमोचन तथा स्टेट ग्राउण्ड वॉटर इन्फॉर्मेटिक्स सेण्टर एवं भूजल भवन का शिलान्यास किया।
इस अवसर पर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ0 महेन्द्र सिंह ने कहा कि जल है तो कल है तथा जल से ही सृजन है। उन्होंने प्रदेश में अटल भूजल योजना, कैच द रेन प्रोग्राम, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग तथा भूजल अधिनियम के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त किए। वर्ष 2013 में प्रदेश के 170 ब्लॉक डार्क जोन में थे। सरकार के प्रयासों से वर्ष 2020 में इनकी संख्या घटकर 42 रह गई। तेजी से हम सेफ जोन की ओर बढ़ रहे हैं। इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री ने मुख्यमंत्री को अंग वस्त्र, एक पौधा एवं भगवान श्रीराम की प्रतिमा भी भेंट की।
कार्यक्रम में जल पुरुष राजेन्द्र सिंह, प्रमुख सचिव नमामि गंगे एवं ग्रामीण पेयजल अनुराग श्रीवास्तव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।