गैंगस्टर मामले में मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका

आजमगढ़ में दो वर्ष पूर्व दर्ज प्राथमिकी में जमानत देने से इंकार

गैंगस्टर मामले में मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका

प्रयागराज, 13 जनवरी । इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाहुबली मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी को खारिज कर दी और कड़ी टिप्पणी करते हुए उसे नामचीन व उत्तर भारत में राबिन हुड छवि वाला अपराधी बताया। कोर्ट ने याची के गैंगचार्ट व दर्ज आपराधिक मुकदमों को देखने के बाद कहा कि अगर याची गैंगस्टर नहीं है तो इस देश में किसी को भी गैंगस्टर नहीं कहा जा सकता है।

मुख्तार ने गैंगस्टर एक्ट की धारा तीन (एक) के तहत थाना तरवां जिला आजमगढ़ में 2020 में दर्ज प्राथमिकी में जमानत की मांग की थी। याची के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने जमानत अर्जी वापस लेने का कोर्ट से अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने सही नहीं माना। कोर्ट ने मुख्तार की जमानत अर्जी को गुण-दोष के आधार पर खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने मुख्तार की जमानत अर्जी पर पारित किया।



याची के अधिवक्ता ने कहा कि उसे इस जमानत अर्जी को वापस लेने को कहा गया है। इसलिए वह अर्जी वापस लेना चाहता है। परंतु कोर्ट ने इसे अनुचित माना और कहा कि यह नहीं बताया गया कि याची भविष्य में दोबारा जमानत अर्जी को दाखिल नहीं करेगा। लिहाजा, उसकी अर्जी वापस लेने की मांग को अस्वीकार किया जाता है।

कोर्ट ने कहा कि याची गैंग का लीडर है। इसके खिलाफ गैंग चार्ट डीएम ने अनुमोदित किया है। इसके खिलाफ 58 आपराधिक केस दर्ज है। लोग भय से इसके किसी केस में गवाही देने नहीं जाते और इसी की वजह से उसे किसी केस में सजा नहीं मिली। कोर्ट ने कहा कि मुख्तार और उसके गैंग के सदस्यों ने लोगों में डर और आतंक फैलाकर अकूत धन अर्जित किया है। उसका स्वतंत्र होना कानून का पालन करने वालों के लिए खतरा है।

कोर्ट ने कहा कि समाज में भय फैलाने के उद्देश्य से उसके गैंग के सदस्यों ने बिना भेदभाव के अवैध स्वचालित हथियारों से गोली चलाई थी। यह फायरिंग गरीब कर्मकारों पर की गई थी। इसकी वजह से एक की मौत हो गई थी व कई घायल हो गए थे। यह घटना समाज में आतंक व भय फैलाने के लिए की गई थी। ताकि, कोई भी सरकारी ठेका उस एरिया में न ले सके। कोर्ट ने कहा कि याची के आपराधिक इतिहास पर विचार किया तथा पाया अधिकांश मुकदमों में वह बरी हो गया है और उसका कारण है कि गवाह उसके डर व आतंक से या तो गवाही से मुकर जाते हैं या उन्हें खत्म कर दिया जाता है। कोर्ट ने इस आधार पर याची की जमानत को खारिज कर दी।