हम श्री राम को मानते हैं, लेकिन उनके बताए रास्ते पर नहीं चलते : रामनाथ कोविंद
हम श्री राम को मानते हैं, लेकिन उनके बताए रास्ते पर नहीं चलते : रामनाथ कोविंद
पूर्व राष्ट्रपति ने परिवार समेत परमार्थ निकेतन में किया बाबू की कथा का रसपान
महाकुम्भ नगर, 20 जनवरी (हि.स)। पूव राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाकुम्भ परिसर में संत मोरारी बापू की मानस कथा में कहा कि आप सभी संत मेरा परिवार हैं। मेरे मन में एक ही बात है कि बापू की श्रीराम कथा श्रृंखला की 950वीं कथा है। यह एक सुखद संयोग है और हम एक हजार श्रीराम कथाओं तक पहुंचने की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, मैने देखा है कि हम श्रीराम को मानते हैं, उनके चरित्र को मानते हैं, उनके चरित्र को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं, उनकी शिक्षाओं को जानने का प्रयास करते हैं, लेकिन राम की नहीं मानते हैं। उनके बताए रास्ते पर नहीं चलते।
इस दौैरान संत मोरारी बापू ने रामनाथ कोविंद के साथ अपनी पुरानी स्मृतियों का स्मरण करते हुए कहा कि आपके सान्निध्य में बिताए दृश्य अद्भुत और अलौकिक हैं। आज भी मुझे याद है, जब आप गुरूकुल आए थे। उस समय सभी व्यवस्थाएँ एक ओर थीं, पर आपकी आस्था एक ओर थी। आपने हमारे पूरे गांव से कहा था कि यदि कभी दिल्ली आओ तो कहीं और मत रुकना, राष्ट्रपति भवन में रुकना। इस प्रकार आपने राष्ट्रपति भवन को राष्ट्र भवन के रूप में सभी को दर्शन कराए। साधु संग पूर्व राष्ट्रपति के लिए सदैव प्रथम रहा है। उन्होंने कहा कि यह बात और है कि वह खामोश खड़े होते हैं, लेकिन जो बड़े होते हैं, वह बड़े ही होते हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि रामनाथ कोविंद ने सत्ता से नहीं सत्य से परिवर्तन किया। यह सृजन से संगम की यात्रा है। अब समय आ गया है कि हमारे दिल और हमारे घर के आगे मोहब्बत लिखा हो। अब समय आ गया है कि हम न बटेंगे, न बाटेंगे, न डरेंगे, न डराएंगे, न कटेंगे, न काटेंगे, न लड़ेंगे, न लड़ाएंगे। यही संगम के तट से संगम का संदेश है, जो हमारे देश के संगम को बचा के रखेगा।
सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पत्नी सविता कोविंद और बेटी स्वाति कोविंद के साथ महाकुम्भ के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल, प्रयागराज पहुंचे थे। इस दौरान राममनाथ कोविंद और उनके परिवार ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में बैठकर मोरारी बापू के श्रीमुख से हो रही मानस कथा का रसपान किया। उनके आश्रम पहुंचने पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती, साध्वी भगवती सरस्वती ने कोविंद और पूरे कोविंद परिवार का इलायची की माला पहनाकर अभिनन्दन किया।