मानव जीवन का बुकलेट है धर्म शास्त्र : महात्मा मोहन दास 

मानव जीवन का बुकलेट है धर्म शास्त्र : महात्मा मोहन दास 

मानव जीवन का बुकलेट है धर्म शास्त्र : महात्मा मोहन दास 

महाकुम्भ नगर, 20 जनवरी (हि.स.)। सदानन्द तत्त्वज्ञान परिषद् के तत्वावधान में महाकुंभ मेला हरिश्चंद्र चौराहा स्थित शिविर में सत्संग सुनाते हुए महात्मा मोहन दास ने कहा, वास्तव में मानव जीवन का बुकलेट धर्मशास्त्र है। उन्होंने कहा, जैसे हम कोई नयी मशीन खरीदने जाते हैं तो उसका एक लीफलेट या बुकलेट लेना पड़ता है। एक छोटी सी किताब उसके साथ मिलती है। उसमें उस मशीन के विषय में, जैसे उसका रख-रखाव, उसको चलाने की सावधानियां आदि सब कुछ लिखा रहता है। यह शरीर भी तो एक मशीन है, यह साढ़े तीन हाथ का पुतला यह जो पिण्ड है, यह एक ऐसी मशीन है, जो दुनिया की सारी मशीनों को बनाता है और उन्हें आपरेट भी करता है ।

उन्होंने कहा कि, मानव रहित जो विमान हैं, उन्हें भी यही मशीन (शरीर) कन्ट्रोल-रूम में, अपने नियन्त्रण-कक्ष में, अपने स्टेशन पर बैठकर चला रही है । अंतरिक्ष में जो मानव रहित राकेट जा रहे हैं, उसको भी यही मानव शरीर रुपी मशीन चला रही है। तो यह मशीन जो दुनिया के सारे मशीनों को चला रही है, उसे भी तो हमें जानना चाहिये । यह जो मशीन है इसी का लीफलेट, बुकलेट हैं धर्मशास्त्र जिसमें इस मशीन से सम्बन्धित सारी जानकारियां मौजूद हैं।

महात्मा जी ने कहा, इसीलिए हमें शास्त्रों का अध्ययन करना-देखना-जानना तथा सन्त पुरूषों के बचन (सत्संग) सुनना एवं उनका पता करना चाहिये । अगर हम शास्त्रों का अध्ययन नहीं करते हैं और सन्तों के बचन भी नहीं सुनते हैं तो हम कभी इस मानव जीवन को जान समझ नहीं पायेंगे।