गुरुदेव जयंती 6 मई को भारत में रिलीज होगी फिल्म ''थिंकिंग ऑफ हिम''

गुरुदेव जयंती 6 मई को भारत में रिलीज होगी फिल्म ''थिंकिंग ऑफ हिम''

गुरुदेव जयंती 6 मई को भारत में रिलीज होगी फिल्म ''थिंकिंग ऑफ हिम''

इंडो-अर्जेंटीना की फिल्म ''थिंकिंग ऑफ हिम'' 6 मई को गुरु टैगोर की जयंती के दिन पूरे भारत के सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। यह फिल्म भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और अर्जेन्टीना की लेखिका विक्टोरिया ओकैम्पो के प्रेरणादायक और पवित्र सम्बन्ध को दिखाएगी। अर्जेंटीना के फिल्म निर्देशक पाब्लो सीजर की इस फिल्म को पुरस्कार विजेता व भारतीय फिल्म निर्माता सूरज कुमार ने प्रोड्यूस किया है।


''गीतांजलि'' के फ्रेंच अनुवाद को पढ़ने के बाद, ओकाम्पो ने टैगोर को अपना आदर्श मान लिया और 1924 में जब वह अपनी ब्यूनस आयर्स यात्रा के दौरान बीमार पड़ गए, विक्टोरिया ने उनकी देखभाल की थी। निर्देशक पाब्लो सीज़र 1992 से ब्यूनस आयर्स के विश्वविद्यालय में सिनेमा प्रोफेसर हैं। ''थिंकिंग ऑफ हिम'' में टैगोर की भूमिका में पद्म विभूषण विक्टर बनर्जी और विक्टोरिया के रोल में अर्जेंटीना के अभिनेत्री एलोनोरा वेक्सलर हैं। फिल्म में प्रसिद्ध बंगाली अभिनेत्री राइमा सेन और हेक्टर बोर्डोनी भी प्रमुख भूमिका में हैं।टैगोर के प्लेटोनिक प्रेम को ओकैम्पो के आध्यात्मिक प्रेम का प्रतिदान मिला जो कि अर्जेंटीना अकादमी ऑफ लेटर्स की सदस्य बनने वाली पहली महिला भी थीं।

भारत में शूटिंग के अपने अनुभव के बारे में बोलते हुए पाब्लो सीजर ने कहा कि “भारत में शूटिंग करना एक अनूठा अनुभव था। मैं भारत को 1994 से जानता हूं, हालांकि पूरे भारत को जानना मुश्किल है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मैंने भारत में कई जगहों के लोगों के स्वभाव और व्यवहार के बारे में बहुत कुछ समझा है, यह एक ऐसा देश है जिसकी मैं व्यक्तिगत रूप से प्रशंसा करता हूं ।

फिल्म के बारे में अपने विचार साझा करते हुए सूरज कुमार ने कहा कि हमें खुशी है कि फिल्म आखिरकार पूरे भारत के सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है और वह भी गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 161वीं जयंती के अवसर पर। हम वास्तव में भाग्यशाली रहे हैं कि पाब्लो सीजर जैसे निर्देशक ने इस फिल्म को निर्देशित किया है और टैगोर की केंद्रीय भूमिका में विक्टर बनर्जी ने इस भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय किया है।

विक्टर बनर्जी ने कहा कि यह फिल्म इस बारे में है कि विक्टोरिया ओकाम्पो, टैगोर के बारे में क्या सोचती है। यह फिल्म इस बारे में नहीं है कि आप और मैं टैगोर के बारे में क्या सोचते हैं, इस रोल के लिए मुझे यह समझना सबसे जरूरी था कि विक्टोरिया एक महिला और बुद्धिजीवी के रूप में टैगोर के लिए क्या महसूस करती हैं। जब वे मिले तो वह उनसे आधी उम्र की थी और उनका रिश्ता एक प्रशंसक से ज्यादा साहित्यिक जुडाव का था। विक्टोरिया ने ही 1930 में पेरिस में टैगोर की पहली कला प्रदर्शनी का आयोजन किया था।