सपा सरकार की हर भर्ती में होता था भ्रष्टाचार : सिद्धार्थनाथ सिंह

सपा सरकार ने लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति ही नियमों के खिलाफ की थी

सपा सरकार की हर भर्ती में होता था भ्रष्टाचार : सिद्धार्थनाथ सिंह

लखनऊ, 28 नवम्बर । टीईटी परीक्षा के पेपर लीक मामले राज्य सरकार द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई के बाद भी विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर लगाए गए आरोपों को उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और सरकार में कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए विपक्षी नेता सरकार द्वारा की गई कारवाई की अनदेखी कर आरोप लगा रहे हैं। ऐसा करने वालों में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव सहित अन्य दलों के नेता भी हैं।

पेपर लीक होने के मामले में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ट्विटर पर यह लिखा कि उप्र शैक्षिक भ्रष्टाचार के चरम पर है। उनके इस ट्वीट का संज्ञान लेते हुए सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टीईटी की परीक्षा के पेपर लीक मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए आरोपितों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा, उनकी संपत्ति जब्त करने और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।

सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि कोई कितना भी बड़ा क्यों ना हो, इस मामले में उसके घर में बुलडोजर चलना तय है। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी अखिलेश यादव ने ट्वीट कर यह लिखा कि उप्र शैक्षिक भ्रष्टाचार के चरम पर है। अखिलेश का यह कथन पूरी तरह से झूठ है। हकीकत तो यह है कि सपा सरकार की हर भर्ती में भ्रष्टाचार होता था। भर्ती के पहले ही जिन्हें नौकरी देनी होती थी उनकी लिस्ट बना ली जाती थी। जनता के बीच में सपा भ्रष्टाचार का ब्रांड बन गई थी।

योगी के मंत्री ने कहा कि अखिलेश यादव के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का एक नया रिकॉर्ड बन गया था। सपा ने बुजुर्ग, युवा बेरोजगार और मरीज किसी को भी लूटने से नहीं बख्शा। गायत्री प्रजापति, यादव सिंह जैसे लोग इसके ब्रांड अम्बेसडर थे। सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति तो अभी भी भ्रष्टाचार का खामियाजा भुगत रहे हैं। उन्होंने कहा कि सपा के मुखिया अखिलेश यादव और उनके लोगों को भले न याद हो, पर लोगों के दिलो-दिमाग पर भ्रष्टाचार के ये काले कारनामे अमिट रूप से चस्पा हैं।

सिद्धार्थनाथ सिंह ने यह भी कहा कि अखिलेश सरकार में यूपी लोकसेवा आयोग के द्वारा हुई भर्तियों में बहुत धांधली हुई थी, जिनकी सीबीआई ने जांच भी की है। यहीं नहीं तब यूपी लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव के कार्यकाल में हुई भर्तियां पर आरोप लगे थे और एक जाति विशेष के लोगों को भर्ती में प्रमुखता दी गई थी। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिल यादव की नियुक्ति को ही रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा था कि उनकी नियुक्ति नियमों के खिलाफ थी।

मंत्री ने कहा कि वहीं योगी सरकार में साढ़े चार लाख से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी दी गई। ये सारी भर्तियां पारदर्शी तरीके से नियमों का पालन करते हुई। किसी भी भर्ती पर कोई विवाद नहीं हुआ। किसी भर्ती को कोर्ट में चुनौती नहीं दी गई। सिद्धार्थनाथ ने कहा कि अखिलेश सरकार और योगी सरकार के कामकाज में यह फर्क है। अखिलेश सरकार में जहां हर भर्ती में भ्रष्टाचार होता था, वहीं योगी सरकार में योग्यता के आधार पर पारदर्शी तरीके से लोगों को नौकरी दी गई है।