बॉलीवुड के अनकहे किस्से: जब 'आनंद' फिल्म बंद कर दी गई

अजय कुमार शर्मा

बॉलीवुड के अनकहे किस्से: जब 'आनंद' फिल्म बंद कर दी गई

ऋषिकेश मुखर्जी की कालजयी फिल्म 'आनंद' के शुरू होने से पहले ही राजेश खन्ना सुपरस्टार कहलाने लगे थे। दिन में 8 घंटे की जो एक शिफ्ट होती थी, उसमें वे एक ही फिल्म के लिए न देकर चार-चार या दो-दो घंटे की दो या तीन शिफ्टों में बांट दिया करते थे, जिससे एक साथ कई फिल्मों की शूटिंग की जा सके। इस कारण वे अपनी फिल्मों की शूटिंग में अधिकतर देर से ही पहुंचा करते थे। सेट पर 2 से 3 घंटे लेट पहुंचना उनकी आदत बन चुकी थी और सभी फिल्म निर्माता और निर्देशक यह बात जानने-समझने भी लगे थे, लेकिन 'आनंद' फिल्म के निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी अपने अनुशासन के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। इस फिल्म की शूटिंग मोहन स्टूडियो में हो रही थी और शिफ्ट का समय सुबह 8 बजे तय हुआ था। सभी लोगों को सुबह ठीक 7 बजे स्टूडियो में हाजिर होना होता था। शूटिंग शुरू हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे और राजेश खन्ना 7 बजे के स्थान पर 10 बजे शूटिंग पर पहुंचने लगे। एक दिन राजेश खन्ना से बात करते ही ऋषिकेश मुखर्जी ने फिल्म की शूटिंग का समय 8 बजे रखा। अगले दिन सारी यूनिट इंतजार कर रही थी और 8:30 बजे तक राजेश खन्ना जब सेट पर नहीं पहुंचे तो ऋषिकेश मुखर्जी ने अपने प्रोडक्शन मैनेजर से काका (राजेश खन्ना का लोकप्रिय नाम) के घर फोन लगाकर पता करने को कहा। मैनेजर ने जब फोन किया तो राजेश खन्ना के सेक्रेटरी गुरनाम ने बताया कि वह तो सुबह 8 बजे ही आपकी शूटिंग के लिए निकल गए हैं। जब 9 बजे तक भी राजेश खन्ना सेट पर नहीं पहुंचे तो गुरनाम को एक बार फिर फोन किया गया तो उसने फिर वही दोहराया। उन दिनों ट्रैफिक की समस्या नहीं थी तो ऐसा भी नहीं था कि वह कहीं जाम में फंस गए हों। 10 बजे तक भी जब राजेश खन्ना सेट पर नहीं पहुंचे तो ऋषिकेश मुखर्जी और उनकी पूरी यूनिट जो अभी तक गुस्से में थी वह चिंता करने लगी कि कहीं कोई दुर्घटना न हो गई हो...हाइवे रोड के दोनों तरफ लोगों को देखने भेजा गया कि कहीं कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई। यह सब चल ही रहा था तभी राजेश खन्ना वहां पहुंचे।

गुस्से में बैठे ऋषि दा कुछ कहें, इससे पहले राजेश खन्ना उनसे मजाक के मूड में बोले, आराम से बैठे हो, ऐसे कैसे काम चलेगा। यह सुनते ही ऋषिकेश मुखर्जी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उन्होंने राजेश खन्ना को जिस तरह से गालियां देनी शुरू की तो सारी यूनिट वहां से चली गई। राजेश खन्ना भी उनका रौद्र रूप देखकर सहम गए। ऋषि दा गलियां देते हुए कहे जा रहे थे... तुम लोग देर से आते हो, निर्माता के पैसे क्या पेड़ पर उगते हैं। गुस्से की इंतहा यह हुई कि अचानक ऋषि दा चीखे... पैकअप... आज से शूटिंग बंद। अब यह फ़िल्म नहीं बनेगी। सिप्पी साहब (फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी) को मैं बाद में फोन करूंगा। उन्हें खबर दे दो कि आज से 'आनंद' की शूटिंग बंद हो गई है। प्रोडक्शन मैनेजर से इतना कहकर वह किसी से बिना एक शब्द बोले कार में बैठकर वहां से चले गए। उनके गुस्से को देखकर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कोई कुछ बोले। राजेश खन्ना चुपचाप अपने मेकअप रूम में आकर बैठ गए। साथी कलाकार रमेश दवे जब उनके पास पहुंचे तो राजेश खन्ना ने कहा, देखा रमेश तुमने और दादा ने सबके सामने कैसे मुझे मां-बहन की गालियां दीं लेकिन मुझे यह फिल्म अवश्य करनी है।

अब मसला यह था कि कैसे भी दादा को मनाया जाए। इसका हल भी रमेश दवे ने ही निकालते हुए कहा कि वह हर शाम को ऋषि दा के साथ शतरंज खेलने जाते हैं। तय हुआ कि राजेश खन्ना भी उनके साथ उनकी ही गाड़ी में उनके यहां जाएंगे जिससे उन्हें उनके आने की भनक न लगे। शाम को जब रमेश, ऋषि दा के घर पहुंचे तो राजेश को सीढ़ियों पर छोड़कर उनसे बात करने लगे कि क्या दादा आप सच में फिल्म बंद कर देंगे तो दा बोले क्या करूं पैसा तो काफी खर्च हो चुका है लेकिन राजेश खन्ना को मैंने सबके सामने इतनी गालियां दे दी हैं कि पता नहीं वह फिल्म करेगा भी या नहीं। सीढ़ियों पर खड़े यह बात सुन रहे राजेश खन्ना ने तुरंत उनके पैर पकड़ कर माफ़ी मांगी और कहा कि जब तक आप सिप्पी साहब को फिल्म दुबारा शुरू करने के लिए फोन नहीं करोगे, मैं आपके पैर नहीं छोडूंगा और इस तरीके से आनंद फिल्म फिर बननी शुरू हुई।


चलते चलते: शूटिंग में लेट होने के दौरान राजेश खन्ना कहां गए थे इसकी कहानी भी बहुत रोचक थी जो उन्होंने ऋषि दा को बताई। हुआ यह था कि जब वे शूटिंग के लिए उनके यहां आ रहे थे तभी मद्रास के एक निर्माता ने उनके सामने सौ-सौ के नए नोटों का ब्रीफकेस रख दिया जिसमें साढ़े चार लाख रुपये थे। राजेश खन्ना ने इतना पैसा एक साथ कभी नहीं देखा था तो वह मना नहीं कर पाये और उनकी स्टोरी सुनने लगे और उन्हें देर हो गई।

(लेखक- राष्ट्रीय साहित्य संस्थान के सहायक संपादक हैं। नब्बे के दशक में खोजपूर्ण पत्रकारिता के लिए ख्यातिलब्ध रही प्रतिष्ठित पहली हिंदी वीडियो पत्रिका कालचक्र से संबद्ध रहे हैं। साहित्य, संस्कृति और सिनेमा पर पैनी नजर रखते हैं।)