पुत्र की दुर्घटना में मौत पर कोर्ट ने मां को 33 लाख 50 हजार रुपये मुआवजे के भुगतान का दिया निर्देश

पुत्र की दुर्घटना में मौत पर कोर्ट ने मां को 33 लाख 50 हजार रुपये मुआवजे के भुगतान का दिया निर्देश

पुत्र की दुर्घटना में मौत पर कोर्ट ने मां को 33 लाख 50 हजार रुपये मुआवजे के भुगतान का दिया निर्देश

प्रयागराज, 14 दिसम्बर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नेशनल बीमा कम्पनी को नौकरी कर रहे अपने मां-बाप के इकलौते संतान की ट्रक दुर्घटना में मौत पर 33 लाख 50 हजार रुपये के मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने अधिकरण द्वारा दिये अवार्ड में भारी वृद्धि की है। कोर्ट ने कहा कि एक युवा की दुर्घटना में मौत माता-पिता व परिवार के लिए सदमा है। माता पिता के जीवित रहते युवा बेटे की मौत पर दुख व मानसिक पीड़ा की हम कल्पना ही कर सकते हैं। मां ने पहले अपना इकलौता बेटा खोया, फिर पति भी नहीं रहे। वह अपना शेष जीवन अकेले संघर्षों में बिता रही है। कोर्ट ने अधिकरण के अवार्ड की तिथि से 8 फीसदी ब्याज भी देने का निर्देश दिया है।



कोर्ट ने बीमा कम्पनी की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि ट्रक 50 किमी की रफ्तार से चल रहा था। अधिक स्पीड नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि लापरवाहीपूर्ण ड्राइविंग को हमेशा तेज रफ्तार से जोड़ा नहीं जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की खंडपीठ ने डॉ अनूप कुमार भट्टाचार्य (मुकदमे के दौरान मृत) व लीना भट्टाचार्य की अवार्ड के खिलाफ दाखिल अपील पर दिया है।



अपीलार्थी का कहना था कि ट्रक ड्राइवर घोर लापरवाही से ट्रक चला रहा था और उसका बीमा था। ऐसे में बीमा कम्पनी को उचित मुआवजे का भुगतान करना चाहिए। बीमा कम्पनी का कहना था कि एक चश्मदीद ने ट्रक का कुछ दूर तक पीछा भी किया। रफ़्तार 50 किमी ही थी। अधिक रफ्तार नहीं थी।



अधिकरण ने 2 लाख 30 हजार 400 रुपये 8 फीसदी ब्याज सहित मुआवजे के भुगतान का आदेश दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने बढ़ा दिया है। 20 जुलाई 04 को अभिषेक की दिल्ली रायबरेली सड़क पर दुर्घटना में मौत हो गई, जिसमें मुआवजे का दावा किया गया था।