कृषि कानूनों की वापसी यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए साबित होगा पीएम मोदी का 'मास्टर स्ट्रोक'
विपक्षी दल के नेताओ ने बताया विधानसभा चुनाव में हार के डर से लिया गया फैसला
चित्रकूट,19 नवम्बर । गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के निर्णय का जनप्रतिनिधियों एवं किसान नेताओं ने जहां सराहना की है। वहीं, विपक्षी दल के नेताओं ने केंद्र सरकार के इस कदम को यूपी समेत पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में हार के डर से लिया गया फैसला करार दिया है। हालांकि पीएम मोदी के इस कदम को चुनाव से ठीक पहले का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद से पूरे देश के किसानों में खुशी की लहर दौड गई है। केेंद्र सरकार के इस निर्णय से जहां भाजपाईयों में 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जीत की आस दिखाई पडने लगी है। वहीं, सपा, कांग्रेस और किसान संगठन के नेता इस निर्णय को पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में हार से बचने के लिए लिया गया निर्णय बता रहे है।
इस मामले में बांदा-चित्रकूट सांसद आर के सिंह पटेल ने पीएम मोदी के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार तीन कृषि कानून को लेकर किसानों से लगातार संवाद का प्रयास कर रहीं है, लेकिन जब किसी स्तर पर बात नहीं बनी तो प्रधानमंत्री ने बड़ा दिल दिखाते हुए कृषि कानून को वापस लेने का निर्णय लिया है। वहीं लोक निर्माण राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि मोदी सरकार के कृषि बिलों के वापस लेने का असर यूपी समेत देश के पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। पांचों राज्यों में पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व में भाजपा सरकार बनायेगीं।
सपा जिलाध्यक्ष अनुज सिंह यादव ने कहा कि किसानों और सपाईयों का आंदोलन रंग लाया है। उत्तर प्रदेश में 2022 के चुनाव में भाजपा ने अपनी दुर्गति का एहसास कर सैकड़ों किसानों की शहादत होने के बाद तीनों काले कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया है। यह देश के लाखों किसानों और समर्थन में खड़े रहने वाले सपा के सैकड़ों क्रान्तिकारी साथियों की जीत है। व्यापार सभा के जिलाध्यक्ष पप्पू जायसवाल ने कहा कि किसानों के संघर्ष के आगे अहंकारी सरकार झुक गई है। किसानों के संघर्ष की जीत को सपा मुखिया अखिलेश यादव के काले कृषि कानूनों के विरोध में सड़क से लेकर सदन तक तीखा विरोध का नतीजा बताया। कहा कि कृषि कानून विधेयक तानाशाही सरकार को किसानों के संघर्ष के आगेे झुकना पड़ा। अहंकार हारा और सत्य की जीत हुई है।
भारतीय किसान यूनियन के जिला मीडिया प्रभारी देवेन्द्र सिंह ने बताया कि उप चुनावों में हार के चलते भाजपा ने कृषि कानूनों की वापसी चुनावी रणनीति के तहत की है। आगामी चुनाव में लुटिया डूबने की दहशत से सरकार का घमंड टूटा है। देश के प्रधानमंत्री अपराधी हैं, उन 700 सौ किसानों के जिन्होंने आंदोलन में अपनी जान न्योछावर की। सरकार मृत किसानों को मुआवजा देकर परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी उठाये। एमएसपी पर गारंटी कानून बनाते हुए किसान आयोग का गठन करे।
इसके अलावा व्यापारी नेता शानू गुप्ता ने कहा कि मोदी का मकसद था कि किसानों की आर्थिक दशा सुधारी जाये। किसानों के एक समूह ने लोकतंत्र में की गई मांग का पीएम का सम्मान किया। किसानों के कल्याण को कृषि विशेषज्ञों के साथ किसानों को कार्य करने को कमेटी गठित की। प्रधानमंत्री की सोंच है कि एमएसपी को और अधिक प्रभावी बनाने को पीएम मोदी निरंतर कार्य कर रहे हैं।