शारदीय नवरात्र के पांचवें रूप में मां स्कंदमाता की हुई आराधना, मंदिरों में लगे जयकारे

शारदीय नवरात्र के पांचवें रूप में मां स्कंदमाता की हुई आराधना, मंदिरों में लगे जयकारे

शारदीय नवरात्र के पांचवें रूप में मां स्कंदमाता की हुई आराधना, मंदिरों में लगे जयकारे

कानपुर, 10 अक्टूबर । शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा  के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा देवी स्थलों व घरों में विधि-विधान से की गई। शहर के प्रतिष्ठित मां तपेश्वरी देवी मन्दिर में भोरसे ही भक्तों का सैलाब देखने को मिला। ज्योतिषाचार्य पं. विवेक दीक्षित ने बताया कि नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना से सारे क्लेश मिट जाते हैं।

पं. विवेक दीक्षित ने बताया कि मां दुर्गा का पंचम रूप स्कंदमाता के रूप में जाना जाता है। भगवान स्कंद यानी कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण दुर्गा जी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंद माता नाम प्राप्त हुआ है। भगवान स्कंद जी बालरूप में माता की गोद में बैठे होते हैं। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होता है। स्कंद माता की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हैं और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर को उठी है, उसमें कमल पकड़ा हुआ है। मां का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। इसी से इन्हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।



इनका वाहन भी सिंह है। स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी है। इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज की प्राप्ति करता है। यह अलौकिक प्रभामंडल प्रतिक्षण उसके योगक्षेम का निर्वहन करता है। एकाग्रभाव से मन को पवित्र कर मां की स्तुति करने से दु:खों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है।

स्कंदमाता की पूजा विधि



ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता के पूजन से भक्तों को अपने हर प्रकार के रोग-दोषों से मुक्ति मिलती है। नवरात्र के पांचवे दिन की पूजा का विधान भी नवरात्र के अन्य दिनों की भांति ही कुछ इस प्रकार है



- सर्वप्रथम स्कंदमाता की पूजा से पहले कलश देवता अर्थात भगवान गणेश का विधिवत तरीके से पूजन करें।



- भगवान गणेश को फूल, अक्षत, रोली, चंदन, अर्पित कर उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान कराएं व देवी को अर्पित किये जाने वाले प्रसाद को पहले भगवान गणेश को भी भोग लगाएं।



- प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें।



- फिर कलश देवता का पूजन करने के बाद नवग्रह, दस दिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा भी करें।



- इन सबकी पूजा-अर्चना किये जाने के पश्चात ही स्कंदमाता का पूजन शुरू करें।



- स्कंदमाता की पूजा के दौरान सबसे पहले अपने हाथ में एक कमल का फूल लेकर उनका ध्यान करें।



- इसके बाद स्कंदमाता का पंचोपचार पूजन कर उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें।



- इसके बाद घी अथवा कपूर जलाकर स्कंदमाता की आरती करें।