प्रयागराज: जीरो टॉलरेंस से कम होंगे यौन उत्पीड़न के केस : प्रो परमार

जीरो टॉलरेंस से कम होंगे यौन उत्पीड़न के केस : प्रो परमार

प्रयागराज: जीरो टॉलरेंस से कम होंगे यौन उत्पीड़न के केस : प्रो परमार

प्रयागराज, 31 जुलाई। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में ’कानून तक पहुंच, महिला सशक्तिकरण की पूर्व शर्त’ विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. सुमिता परमार, पूर्व निदेशक, महिला अध्ययन केंद्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने कहां कि अगर सभी विभागों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए तो उससे यौन उत्पीड़न के केस में कमी आ सकती है।

समाज विज्ञान विद्या शाखा द्वारा आयोजित व्याख्यान की मुख्य वक्ता ने कहा कि इसके लिए संस्था में उच्च पद से लेकर निम्न वर्ग के कर्मचारी तक एक ही नीति का पालन कराया जाना आवश्यक है। उन्होंने यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विश्व में 1970 में सर्वप्रथम अमेरिका में महिला उत्पीड़न शब्द की शुरुआत फारले द्वारा की गई। उन्होंने महिला उत्पीड़न के प्रकारों तथा उनसे बचने के उपाय पर महत्वपूर्ण चर्चा की। साथ ही भारत में किस प्रकार से यौन उत्पीड़न अधिनियम का निर्माण हुआ, इस पर प्रकाश डाला।

प्रो परमार ने अनीता हिल केस, विशाखा केस, मेधा कोटवाल केस तथा भंवरी देवी केस के माध्यम से यौन उत्पीड़न अधिनियम के विकास पर चर्चा की। उन्होंने सरकारी योजनाओं तथा सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों तथा यौन उत्पीड़न अधिनियम के सभी बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित करते हुए सही ढंग से लागू किए जाने के प्रयासों पर जोर दिया।



अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो सीमा सिंह ने कहा कि महिलाओं में साहस एवं जागरूकता का होना अत्यंत आवश्यक है। महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा ही प्रमुख अस्त्र है। महिलाओं को शिक्षित करना ही महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा। व्याख्यान के संयोजक प्रो एस कुमार एवं संचालन व्याख्यान के आयोजन सचिव रमेश चंद्र यादव तथा धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ संजय कुमार सिंह ने किया। इस दौरान समाज विज्ञान विद्या शाखा के डॉ आनंदानंद त्रिपाठी, सुनील कुमार, डॉ त्रिविक्रम तिवारी, डॉ दीपशिखा श्रीवास्तव, डॉ अलका वर्मा, मनोज कुमार एवं विश्वविद्यालय के समस्त निदेशक, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर आदि ऑनलाइन जुड़े रहे।