संघर्षों की बदौलत इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सक से कैिबनेट मंत्री बन गए डॉ. संजय निषाद

संघर्षों की बदौलत इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सक से कैिबनेट मंत्री बन गए डॉ. संजय निषाद

संघर्षों की बदौलत इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सक से कैिबनेट मंत्री बन गए डॉ. संजय निषाद

 निषाद पार्टी के संस्थापक डॉ. संजय निषाद लगभग एक दशक पहले तक इलेक्ट्रो होमियोपैथी क्लिनिक चलाया करते थे। गोरखपुर के गीता वाटिका रोड पर प्रैक्टिस करने वाले डॉ. संजय निषाद ने वर्ष 2013 में निषाद पार्टी का गठन किया और सक्रिय राजनीति में आ गए। लेकिन अपने संघर्षों की बदौलत लगातार बढ़ते ही गए। कभी चिकित्सकों की समस्याओं को हल करने में रुचि दिखाई तो कभी निर्बल और शोषितों की आवाज बने। तकरीबन दो दशक के संघर्षों के बाद अब जाकर डॉ. संजय निषाद को मुकाम मिला है। योगी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करते हुए शोषितों और वंचितों की आवाज बनेंगे।

राजनीति में लगभग दो दशक पूर्व सक्रिय हुए डॉ. संजय निषाद की राजनैतिक महत्वाकांक्षा पहले से ही कुलांचे मार रही थी। शायद यही वजह है कि उन्होंने बामसेफ को अपना हथियार बनाया। बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों के संपर्क में आये तो यह महत्वाकांक्षा और बलवती हुई। ये गोरखपुर के कैम्पियरगंज से एक बार चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि इस चुनाव में इन्हें सफलता नहीं मिली थी। इसके बाद डॉ. संजय निषाद ने खुद की राजनीति को अपनी जाति तक सिमटा लिया। वर्ष 2008 में इन्होंने ऑल इंडिया बैकवर्ड एण्ड माइनॉरिटी वेलफेयर मिशन और शक्ति मुक्ति महासंग्राम नाम के दो संगठनों का गठन किया। उन्होंने निषाद पार्टी से पहले राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद भी बनाई थी। बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष उन्होंने निषादों को एकजुट करना शुरू किया था। धीरे धीरे डॉ. संजय निषाद ने उपजातियों को भी समेटना शुरू किया। सामान्य रूप से अलग अलग उपजातियों में होने वाले संघर्षों और मत भिन्नताओं को दूर करने का भरसक प्रयास किया। कालांतर में यही प्रयास निषाद पार्टी के रूप में सामने आया।

बता दें कि डॉ. संजय निषाद ने क्लिनिक चलाने के साथ साथ इलेक्ट्रोपैथी को मान्यता दिलवाने को भी काफी संघर्ष किया। उन्होंने वर्ष 2002 में पूर्वांचल मेडिकल इलेक्ट्रो होमियोपैथी एसोसिएशन बनाया था। वह इसके भी अध्यक्ष बने रहे। इस विधा को मान्यता दिलवाने को वह सुप्रीम कोर्ट तक गए।

बयानों को लेकर काफी चर्चित रहे डॉ. संजय निषाद

यूपी विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा और भाजपा एक बार फिर से यूपी में अपने सहयोगियों के साथ सरकार बना रही है। पिछले दिनों निषाद पार्टी के मुखिया डॉ. संजय निषाद ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि जब भाजपा में चाय वाला पीएम बन सकता है तो हम निषाद राज के लोग हैं।

यूपी में जीत के बाद निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने दिल्ली में एक बार फिर प्रेसवार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा जो ठीक समझेगी, वह सम्मान देगी। जब बीजेपी में चाय वाला पीएम बन सकता है तो हम निषादराज के लोग हैं। हमारा समाज चाहता है लेकिन सम्मान देना भाजपा का काम है। डॉ. संजय निषाद की महत्वाकांक्षा ने एक बार कुलांचे भरी थीं। इशारे-इशारे में डिप्टी सीएम पद की लालसा को जाहिर कर दिया था। हालांकि इस दौरान उन्होंने एनडीए को प्रचंड बहुमत पर हार्दिक बधाई दी और कहा था कि हम दो साल पहले भाजपा के गठबंधन में आये हैं। भाजपा ने जो ज़िम्मेदारी हमें दी, उसको पूरा किया। 160 मछुआरा बाहुल्य सीटों में से ज़्यादातर सीट पर एनडीए गठबंधन को जीत दिलाई है। डॉ. संजय निषाद ने कहा था कि भाजपा ने बड़े भाई की हैसियत से हमको गले लगाया है। अन्य राज्य में भी हम उनका सहयोग करेंगे। हमने कहा था कि मेरी सेना लीजिए और उत्तर प्रदेश में रावण राज चलाने वाले बचे -खुचे लोगों को समाप्त करिए। हमको 16 सीट मिली, जिनमें 9 सीट पर 20 साल से लोग पैर जमाये थे। अपने ट्रेडिशनल वोट बैंक को लाभ देते थे। ऐसी 9 सीटों में से 8 सीट पर हमने जीत दिलाई। इन 9 सीटों में वर्ष 2017 में भाजपा चुनाव हार गई थी। इस बार 8 सीट पर जीत दर्ज की।