बहना ने भैया के माथे पर रोचना कर मनाई भैया दूज

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय को मनाई जाती है भैया दूज

बहना ने भैया के माथे पर रोचना कर मनाई भैया दूज

लखनऊ, 06 नवम्बर । भाई और बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार भैया दूज 6 नवम्बर को परम्परा से मनाया गया। भैया-दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं। यह दीपावली के बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार का सम्बन्ध मृत्यु के देवता यम और उनकी बहन यमुना से है।

बहन-भाई के लिए था खुशी का दिन

बहन-भाई के लिए आज बहुत ही खुशी का दिन था। सुबह से दोनों में त्योहार को लेकर उत्साह था। जहां छोटे भाई-बहन थे। उनकी तो खुशी देखने लायक थी। सभी ने नये परिधान धारण किए और टीका के लिए तैयार हो गए।

शुभ मुहूर्त में लगाया टीका

शुभ मुहूर्त में बहनों ने भाइयों के माथे पर रोली -अक्षत और हल्दी से टीका लगाया। टीका लगाकर मिठाई खिलाई। भाइयों ने भी बहनों को रुपये िदए और उनकी रक्षा का वचन दिया।

भाई-बहन के मिलने से खुशी हुई दोगुनी

भैया दूज के ही बहाने भाई-बहन के आपस में मिलने से आपस की खुशी दोगुनी हो गई। परिवारों में खुशियां छाई रहीं। जिन परिवारों भाई-बहन विवाह आदि के कारण दूर रहते हैं, वे जब मिले तो उनके चेहरे की प्रसन्नता देखने लायक थी।

यम द्वितीया की तिथि में करने योग्य कार्य

धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार आज यम द्वितीया की तिथि में यमुना नदी में स्नान का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस दिन भाई-बहन के यमुना में साथ-साथ स्नान करने से मृत्यु लोक का द्वार नहीं देखना पड़ता है। इसी दिन भाई को बहन के घर में भोजन करने का भी विधान है। मान्यता है कि इससे दोनों की लंबी आयु होती है।



पौराणिक आख्यान

यम और यमुना भगवान सूर्य की संतान हैं। दोनों भाई-बहनों में अत्यधिक प्रेम था, परन्तु यमराज यमलोक में इतने व्यस्त थे कि वह अपनी बहन के घर नहीं जा पाते थे।

यम ने दिया यमुना को वरदान

पौराणिक आख्यान है कि एक दिन यमुना भाई के घर पहुंची। बहन को आया देख कर यम बहुत प्रसन्न हुए। वह बोले बहन बहुत प्रसन्न हूं जो वरदान मांगना हो, मांग लो। तब यमुना ने कहा, आज की तिथि में जो मुझमें स्नान करे, उसे यमलोक न जाना पड़े। यम ने कहा, ऐसा ही होगा। उस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया थी। इसलिए इस तिथि में यमुना स्नान का विशेष महत्व है।