अदालत में पेशी के बीच अचानक घोसी सांसद अतुल राय हुए बेहोश,वापस नैनी जेल भेजे गये

अदालत में पेशी के बीच अचानक घोसी सांसद अतुल राय हुए बेहोश,वापस नैनी जेल भेजे गये

अदालत में पेशी के बीच अचानक घोसी सांसद अतुल राय हुए बेहोश,वापस नैनी जेल भेजे गये

वाराणसी, 08 सितम्बर। नैनी सेंट्रल जेल में बंद घोसी के बसपा सांसद अतुल राय की गुरूवार को कड़ी सुरक्षा के बीच यहां अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमपी/एमएलए उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत में पेशी हुई।

पेशी में न्यायालय में पहुंचते ही अचानक सांसद अतुल राय बेहोश होकर गिर पड़े। यह देख वहां अफरा-तफरी मच गई। आनन-फानन में सांसद को उठाकर पुलिस कर्मी और समर्थक न्यायालय के अंदर ले गये। फिलहाल सांसद की तबीयत सामान्य बताई गई।

न्यायालय से सांसद का न्यायिक रिमांड भी नहीं बन पाया और उन्हें वापस नैनी सेंट्रल जेल ले जाया गया। सांसद पर दुष्कर्म का आरोप लगा कर जान देने वाली युवती और उसके दोस्त को आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़े मामले में अदालत में लाया गया था।

उल्लेखनीय है कि सांसद अतुल राय के खिलाफ 1 मई 2019 को वाराणसी के लंका थाने में रेप सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया था। अतुल के खिलाफ मुकदमा बलिया निवासी एक युवती ने दर्ज कराया था। 22 जून 2019 को अतुल राय ने वाराणसी की अदालत में सरेंडर किया था, तब से अब तक वह जेल में ही बंद हैं। खास बात ये है कि 16 अगस्त 2021 को मुकदमा दर्ज कराने वाली युवती और उसके गवाह सत्यम प्रकाश राय ने सुप्रीम कोर्ट के सामने फेसबुक पर लाइव होकर खुद को आग के हवाले कर दिया था। गंभीर रूप से जली अवस्था में दोनों का आरोप था कि अतुल राय के इशारे पर उन्हें इतना प्रताड़ित किया जा रहा है कि जान देने के सिवा अब कोई और रास्ता बचा नहीं है। उपचार के दौरान 21 अगस्त 2021 को सत्यम प्रकाश राय की मौत हो गई थी। इसके बाद 24 अगस्त 2021 को युवती ने भी दम तोड़ दिया था।



पिछले दिनों अतुल राय बलात्कार के आरोप से बरी हुए थे। वाराणसी के विशेष न्यायाधीश ने अपना आदेश 101 पेज में दिया था। अदालत ने कहा था कि पीड़िता ने जो सबूत दिए हैं और जो बात कही है वह न तो विश्वसनीय है और न ही बेदाग हैं। पीड़ित पक्ष अतुल राय पर लगाए आरोपों को साबित करने में असफल रहा है। ऐसे में आरोपी अतुल राय को दोषमुक्त किया जाना न्यायसंगत है। तथ्य और साक्ष्य साबित करते हैं कि अतुल राय के खिलाफ राजनीतिक साजिश और रंजिश के तहत सोच-समझकर मुकदमा दर्ज कराया गया था।