भारतीय सेना ने 13 दिनों के अंदर पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी : राज्यपाल प्रो. मुखी

भारतीय उप महाद्वीप में 1971 का युद्ध एक मील का पत्थर : मुख्यमंत्री डॉ. सरमा

भारतीय सेना ने 13 दिनों के अंदर पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी : राज्यपाल प्रो. मुखी

गुवाहाटी, 23 अप्रैल । आजादी के अमृत महोत्स के मद्देनजर शनिवार को 1971 के भारत-पाक युद्ध के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि एवं युद्ध में हिस्सा लेने वाले सैनिकों का सम्मान समारोह गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने कहा कि भारतीय सेना ने 13 दिनों के अंदर पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी।



उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करते बांग्लादेश को जन्म दिया। पाक के जनरल नियाजी ने घुटने टेक दिया, जबकि 97 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने हमारी सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह को पूरी तरह से ध्वस्त करते उनकी नौसेना का मनोबल तोड़ दिया था। इस युद्ध से भारतीय सेना को प्रेरणा मिली। देश उन वीर सपूतों के प्रति ऋणी रहेगा।



राज्यपाल ने कहा कि हमारे रक्षा मंत्री ने वन रैंक वन पेंशन का लाभ दिया, जो सेना के लिए बड़ी उपलब्धि है। असम में 38 हजार पूर्व सैनिक एवं उनके 8 हजार परिजन हैं। असम सरकार उनके कल्याण के लिए निरंतर काम कर रही है। राज्य सरकार ने पूर्व सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए सभी जिलों में एक समिति का गठन किया है।

इस मौके पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 युद्ध के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिजनों और पूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आभार जताया। उन्होंने कहा कि भारतीय उप महाद्वीप में 1971 का युद्ध एक मील का पत्थर साबित हुआ जो ऐतिहासिक था। भारतीय नौसेना, वायु सेना और थल सेना को नमन करता हूं, जिन्होंने पाकिस्तान के 97 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए बाध्य किया था।



मुख्यमंत्री ने कहा कि असम सरकार ने पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिसमें 2 प्रतिशत ग्रुप ए, बी, सी और डी की नौकरी में आरक्षण दिया जाएगा, शहीद सैनिकों के परिवार को 50 लाख और परिवार के एक आश्रित को नौकरी दी जाएगी। इसके लिए असम सरकार की कैबिनेट ने शुक्रवार को ही निर्णय लिया है।



मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं गर्व महसूस कर रहा हूं कि युद्ध में असमिया जाति ने भी हिस्सा और अपना बलिदान दिया।



कार्यक्रम में मुख्य सचिव जिष्णु बरुवा, सांसद कामाख्या प्रसाद तासा, सांसद राजदीप ग्वाला, विधायक मिहिर कांति सोम, विधायक सुशांत बरगोहाईं, विधायक जयंत मल्ल बरुवा, विधानसभा के अध्यक्ष बिश्वजीत दैमारी समेत अन्य मंत्री एवं विधायक मौजूद थे।