साइबर ठगी के मामले में पैसों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक की : हाईकोर्ट
कोर्ट ने कहा, बैंक में पैसा रखने वाले लोग देश के प्रति ईमानदार, उनका पैसा सुरक्षित रहना चाहिए
प्रयागराज, 12 जनवरी । इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्व न्यायमूर्ति पूनम श्रीवास्तव के बैंक खाते से झारखंड के साइबर अपराधियों द्वारा पांच लाख रुपये की ठगी के सभी आरोपितोंं की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि साइबर ठगी के मामले में पैसे की सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक की होनी चाहिए।
यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने नीरज मंडल उर्फ राकेश, तपन मंडल, शूबो शाह उर्फ शुभाजीत व तौसीफ जमा की जमानत अर्जी पर दिया है। कोर्ट ने कहा बैंक में पैसा जमा करने वाले देश के प्रति ज्यादा ईमानदार हैं। उनका पैसा हर हाल में सुरक्षित रहना चाहिए।
पूर्व न्यायमूर्ति श्रीवास्तव को 04 दिसम्बर 2020 को रांची से मोबाइल नंबर पर फोन आया और उनसे पासबुक, आधार, पैन नंबर मांगा। इसके बाद ही उनके खाते से पांच लाख रुपये निकाले गए। 08 दिसम्बर 2020 को उन्होंने कैंट थाना, प्रयागराज में एफआईआर दर्ज कराई। न्यायमूर्ति झारखंड हाईकोर्ट में जज रह चुकी हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट से उनका तबादला किया गया था।
पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और चार्जशीट दाखिल की है। अपने को बिना साक्ष्य के फंसाने का आरोप लगाते हुए जमानत पर रिहा करने की आरोपितों ने अर्जी दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने आज खारिज कर दी है।