एक ही मंच पर दिखाई दिया देश के विभिन्न राज्यों का लोक संगीत
लखनऊ के लोहिया पार्क में गुरुवार से आरंभ हुआ लोक संस्कृति संगीत का तीन दिवसीय उत्सव
लखनऊ, 16 दिसम्बर। प्रदेश की राजधानी लखनऊ देश के विभिन्न राज्यों के लोक संगीत का कोलॉज दिखा। चाहे वो महाराष्ट्र का लावणी, राजस्थान का केसरिया बालम, मथुरा के कान्हा की होरी हो या अवधपुरी के रघुवर की लीला। लोक संस्कृति को समर्पित संस्था सोनचिरैया के दस वर्ष पूरे होने पर गुरुवार से तीन दिवसीय संगीत समारोह ‘देशज‘ आरंभ हुआ। समारोह का उद्घाटन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया। इससे पहले समारोह की संयोजिका व प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने आए अतिथियों का स्वागत किया। समारोह का आयोजन गोमती नगर स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया पार्क में हो रहा है।
लोक संस्कृति का कोलॉज हुआ पेश
समारोह की शुरुआत में कई राज्यों की लोक संस्कृति का कोलॉज पेश किया गया, जिसमें अलग-अलग राज्यों के पहनावा, वहां की बोली, गीत सब एक साथ ही थोड़े-थोड़े समय के लिए प्रस्तुत किए गए। राजस्थान के कलाकारों ने सिर पर पगड़ी पहन रखी थी तो गुजरात की नृत्यागंनाओं ने वहां का परम्पराग साड़ी पहनी हुई थी। उत्तर प्रदेश के कलाकार भी अपने लोक पहनावे में थे।
इसमें सबसे पहले राजस्थान के लोक गायक अनवर खान राजस्थानी लोक गीत प्रस्तुत करते हुए मंच पर प्रकट हुए। इसी के साथ अवधपुर की लोक गायिकाओं ने गीत गाए। इसके पीछे गुजरात की नृत्यागंनाए गरबा करते हुए आईं, महाराष्ट्र की नृत्यांगनाओं ने अपने परम्परागत पहनावे में लावनी नृत्य पेश किया। यूपी के कलाकारों ने पाई डंडा, फरवाही, करमा, चारकुला नृत्य पेश किया।
विरासत को सहजना बड़ी बात है- आनंदीबेन पटेल
समारोह की मुख्य अतिथि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों के नृत्य देखकर बहुत खुश हुईं। उन्होंने अलग-अलग राज्यों से आए सभी कलाकारों को बधाई दी। कहा कि एक विरासत का सहजना बहुत बड़ी बात है और कलाकार अपनी विरासत को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में भेजते हैं।
इसके बाद राजस्थान के लोक कलाकार अनवर खां और महाराष्ट्र से आई कलाकार रेशमा ने लावणी गीत और नृत्य को पेश किया। वहां आए श्रोताओं ने लोक संगीत का आनंद उठाया।