प्रयागराज: सनातन परम्परा को जीवित रखने में उत्सव और पर्वों का महत्वपूर्ण योगदान : युगल किशोर
सनातन परम्परा को जीवित रखने में उत्सव और पर्वों का महत्वपूर्ण योगदान : युगल किशोर
प्रयागराज, 13 अक्टूबर। विश्व में सनातन संस्कृति और परम्परा को सबसे प्राचीनतम होने की प्रतिष्ठा प्राप्त है। जो सदैव ही सत्य, अहिंसा, न्याय, दया, कर्म और मोक्ष के नीतियों की वाहक है। सनातन परम्परा को जीवित रखने में उत्सव और पर्वों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
यह बातें प्रो. राजेन्द्र प्रसाद (रज्जू भैया) शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कालेज गंगापुरी, रसूलाबाद में प्रधानाचार्य युगल किशोर मिश्र ने विद्यालय में आयोजित “दशहरा उत्सव कार्यक्रम” में सम्बोधित करते हुए कही।
प्रधानाचार्य ने दशहरा पर्व के महत्व को बताते हुए कहा कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता अपराजिता की आराधना कर भगवान श्रीराम ने महाप्रतापी रावण का विनाश किया था। यह पर्व संदेश देता है कि सिर्फ बुद्धि एवं शक्ति से ही सब कुछ सम्भव नहीं। मुक्ति तभी मिलती है जब बुद्धि के साथ विवेक और मर्यादा भी हो। यह दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा हमें देता है।
इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्रीराम के चित्र पर पुष्पार्चन, दीपार्चन से हुआ। कार्यक्रम में प्रभु श्रीराम का वेश धारण कर आए कक्षा यूकेजी के भैया प्रज्ञ प्रताप सिंह ने रावण दहन किया। विद्यालय के प्रबंधक डॉ आनंद कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष शरद गुप्त एवं प्रबंध समिति के सभी सदस्यों ने समस्त अभिभावकों एवं विद्यालय परिवार को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं दी।