छात्रों की बढ़ती आत्महत्या के मुद्दे को लेकर छात्रों ने निकला जूलूस
मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया गया
प्रयागराज 10 मार्च। दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा की ओर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन पर ‘छात्रों की बढ़ती आत्महत्या और रोज़गार के घटते अवसर’ के मुद्दे पर सभा की गई और विश्वविद्यालय में जुलूस निकालकर मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया गया। दिशा छात्र संगठन के अमित ने कहा कि जिला प्रशासन छात्रों-युवाओं के आन्दोलन से इतना डरता है कि छात्रों के शान्तिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने के लिए सुबह से ही पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन छात्रसंघ भवन पर तैनात था। अगर प्रशासन इतनी मुस्तैदी छात्रों-युवाओं के रोज़गार के सवाल को लेकर दिखाता तो बहुत से छात्रों-युवाओं को अवसाद का शिकार होकर आत्महत्या जैसा क़दम न उठाना पड़ता। प्रशासन इस कोशिश में लगा रहा कि किसी तरह जुलूस कचहरी तक न जाए और इसीलिए प्रशासन छात्रसंघ भवन पर ही ज्ञापन लेने पहुँच गया। दिशा छात्र संगठन के अविनाश ने कहा कि छात्रों-युवाओं की आत्महत्या की सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। इलाहाबाद शहर में ही पिछले एक माह में कम से कम 13 युवाओं के आत्महत्या की खबरें आ चुकी हैं। एनसीआरबी की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक एक साल में लगभग 90000 युवाओं ने आत्महत्या की। आँकड़े बता रहे हैं कि जिस साल नौकरियाँ ज्यादा निकली हैं, उस साल आत्महत्याओं में कमी आई है। रोज़गार की स्थिति यह है कि तमाम विभागों में नियमित प्रकृति के कामों को समाप्त कर ठेका, संविदा को बढ़ावा दिया जा रहा है। खाली पड़े पदों पर नई भर्तियाँ करने की बजाय उनकों खत्म किया जा रहा है। सरकारी खर्च कम करने के नाम पर विभिन्न विभागों ने नए पद सृजित करने पर रोक लगाई जा चुकी है। जो थोड़ी बहुत नौकरियाँ बची हैं, उनमें पर्चा लीक हो जाना, धाँधली-भ्रष्टाचार एक आम नियम बनता जा रहा है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, प्राथमिक शिक्षक, यूपीपीसीएल आदि के खाली पदों पर भर्तियाँ नहीं की जा रही हैं। एसएससी जैसी परीक्षाओं का परिणाम कई-कई सालों तक लम्बित रखा जा रहा है। लैटरल एंट्री के जरिए बहुत सारे नौजवानों से रोज़गार का अवसर छीन कर अपने लगुओं-भगुओं को नौकरी देने की योजना तैयार कर सरकार ने भ्रष्टाचार को क़ानूनी जामा पहना दिया है। इसके ख़िलाफ़ आन्दोलन करने वाले छात्रों को लाठी-डण्डे, मुक़दमें और जेल मिल रहे हैं। ऐसे में छात्रों-युवाओं को कमरे में बैठे रहने की बजाय सड़कों पर उतरना होगा। नौजवान भारत सभा की नीशु ने कहा कि हमारी यह माँग है कि हर काम करने योग्य नागरिक के लिए रोज़गार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया जाए। परीक्षाओं के विज्ञापन से लेकर नियुक्ति पत्र देने तक की समय-सीमा निर्धारित की जाए। प्रदेश में विभिन्न विभागों में खाली पड़े लाखों पदों को भरने की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाये। नियमित प्रकृति के कामों में ठेका प्रथा पर रोक लगायी जाये, सरकारी विभागों में नियमित काम कर रहे सभी कर्मचारियों को स्थायी किया जाये और ऐसे सभी पदों पर स्थायी भर्ती की जाये। परीक्षाओं के फॉर्म एवं यात्रा के शुल्क को निःशुल्क किया जाए। “भगतसिंह रोज़गार गारण्टी कानून” पारित किया जाए।
सभा के दौरान ‘तोड़ो बन्धन तोड़ो’, ‘जवानियों उठो कि रास्ते तुम्हें पुकारते’ आदि क्रान्तिकारी गीत गए गए। सभा में प्रसेन, अमित, अजीत आदि छात्रों ने भी बात रखी। सभा और जुलूस में धर्मराज, अम्बरीश, अंशुरीश, चन्द्रप्रकाश, दिव्यांशु, अंजलि, शिवा, अवन्तिका, सत्यम, सूरज, मोनिस, अभिषेक, शुभम आदि छात्र शामिल रहे।
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