योग हमारी संस्कृति का हिस्सा व परम्परा का द्योतक : ऋचा सिंह
योग हमारी संस्कृति का हिस्सा व परम्परा का द्योतक : ऋचा सिंह
प्रयागराज, 28 जुलाई । योगा एक ऐसी क्रिया है जिससे आप अपनी ऊर्जा को मनचाहे श्रेणी में ले जाना चाहते हैं तो वह बड़े आसानी से चली जाती है। योग मनुष्य का सबसे बड़ा साधन है जो जीवन को स्वस्थ, आनन्ददायक व सुखी बनाता है। योगा हमारी संस्कृति का हिस्सा और परम्परा का द्योतक है। इसे हमें बचाये रखना चाहिए और निरंतर पीढ़ी दर पीढ़ी आगे ले जाना चाहिए जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियाँ स्वस्थ्य और संयमित रहें।
यह बातें मुख्य वक्ता एनजीओ सृजन चेतना मिशन की ओर से योगा स्पेशलिस्ट ऋचा सिंह ने ईश्वर शरण पीजी कॉलेज में शुक्रवार को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित एवं आई.सी.पी.आर, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय व्याख्यानमाला के समापन सत्र में कही।
उन्होंने कहा कि जीवन में योगा बहुत जरूरी है। इससे मन और शरीर संयमित रहता है और हम तमाम प्रकार के रोगों और तनावों से मुक्त होते हैं। योग हमारी ऊर्जा को ब्रह्माण्ड से जोड़ने का कार्य करता है। योग हमारी चेतना के साथ प्राण को जगाता है और ऑक्सीजन की बेहतरीन सप्लाई शरीर में करता है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक डॉ अमरजीत राम, डॉ मनीषा खन्ना, डॉ कार्तिकेय अस्थाना सहित शोधार्थी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं संयोजन डॉ अमिता पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम संचालन डॉ शिखा श्रीवास्तव एवं अन्त में आभार ज्ञापन डॉ अमिता पाण्डेय ने किया।