विंध्यक्षेत्र में महादेव की स्थापना कर तारकासुर ने की थी तपस्या

विंध्यक्षेत्र में ही कार्तिकेय के नेतृत्व में हुआ था देवासुर संग्राम

विंध्यक्षेत्र में महादेव की स्थापना कर तारकासुर ने की थी तपस्या

विंध्यक्षेत्र की महिमा का बखान पुराणों में भी मिलता है। देवी-देवताओं से लेकर असुरों का पसंदीदा स्थान रहा है विंध्यक्षेत्र। नगर के रैदानी काॅलोनी स्थित रामबाग मोहल्ले में तारकेश्वर महादेव शिव भक्ति और आस्था की मिशाल है। औषनस पुराण के विंध्यखंड के अनुसार, तारकेश्वर महादेव की स्थापना तारकासुर ने किया था। ऐसी मान्यता है कि तारकेश्वर महादेव के दर्शनमात्र के भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

विंध्यखंड के सातवें अध्याय में ताराकासुर ऋषि पुलत्स्य से तप करने के सबसे उत्तम स्थान के बारे में पूछता है, ऋषि पुलत्स्य की सलाह पर ही तारकासुर देवों व असुरों के पसंदीदा विंध्य पर्वत पर पहुंचता है। विंध्याचल पर्वत पर पहुंचने के बाद जगत जननी मां विंध्याचल के चरण में शीश झुका आशीर्वाद लेकर विंध्य पर्वत के पूर्वी भाग में पहुंचा। जहां घने जंगल में तारकासुर ने तारकेश्वर महादेव के लिंग की विधि-विधान से स्थापना की। यहीं पर तारक कुंड की स्थापना का भी जिक्र पुराणों में मिलता है।

विधिवत महादेव की स्थापना करने के बाद तारकासुर औघड़दानी भोलनाथ की उपासना करने लगा। तारकासुर की घोर तपस्या पर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हुए और तारकासुर को दर्शन देते हुए मनोवांछित वर प्रदान किया। भगवान शिव का वरदान पाते ही ताड़कासुर मदमत्त हो गया। समस्त पृथ्वी ही नहीं देवलोक पर आधिपत्य जमाने लगा। तारकासुर के आतंक से धरती ही नहीं देवलोक भी थर्रा उठा।

इसके बाद देवतओं की वेदनापूर्ण स्तुति पर भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती चिंतित हो उठे। इसके बाद शिव-माता पार्वती के दूसरे पुत्र के रूप में कार्तिकेय का जन्म होता है। देवताओं के सेनापति के रूप में कार्तिकेय के नेतृत्व में देवासुर संग्राम यहीं विंध्यक्षेत्र में हुआ। घोर संग्राम में अंतत: तारकासुर का वध हुआ।

भव्य रूप में विराजमान हैं तारकेश्वर महादेव

तारकेश्वर महादेव शिव लिंग रूप में भव्य रूप से विराजमान हैं। शिवलिंग के साथ गर्भगृह में प्रथम पूज्य भगवान गणेश, कार्तिकेय, महाबली हनुमानजी विराजमान हैं।

इस दिन कर सकते हैं गर्भ गृह के अंदर दर्शन

सोमवार, प्रदोष, महाशिवरात्रि, गुरुपूर्णिमा, करवा चौथ आदि के अवसर पर मंदिर के गर्भगृह के अंदर से दर्शन की अनुमति है। शेष दिनों में बाहर से ही दर्शन करने की व्यवस्था मंदिर प्रशासन की ओर से तय की गई है।

चार बजे भोर में होती है मंगला आरती

प्रतिदिन चार बजे भोर में तारकेश्वर महादेव की आरती होती है। मंगला आरती के बाद से 11 बजे तक दर्शन-पूजन, 12 बजे कपाट बंद हो जाता है। फिर चार बजे से शाम को आठ बजे तक दर्शन पूजन। आरती के बाद नौ बजे मंदिर बंद करने का विधान है।

सुरक्षा की दृष्टि से लगा है सीसी कैमरा

पतित पावनी गंगा के उत्तरी तट पर विराजमान तारकेश्वर महादेव मंदिर में पवित्र श्रावण मास के सोमवार को भगवान भोलेनाथ के भक्तों की अपार भीड़ होती है। भोलेनाथ के भक्तों की सुरक्षा की दृष्टि से पूरा मंदिर परिसर सीसी टीवी कैमरे लगे हैं। गर्भ गृह के प्रवेश व निकास द्वार पर पीतल के गेट लगे हैं।