गुरु परम्परा के ध्वज वाहक थे शंकराचार्य विष्णुदेवानंद : शंकराचार्य वासुदेवानंद
गुरु परम्परा के ध्वज वाहक थे शंकराचार्य विष्णुदेवानंद : शंकराचार्य वासुदेवानंद
प्रयागराज, 14 दिसम्बर । जगद्गुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानंद सरस्वती महाराज भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा संचालित गुरु परम्परा के ध्वज वाहक थे। जगतगुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती द्वारा 18 दिसम्बर 1952 को लिखी गई वसीयत में ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी विष्णुदेवानंद जी महाराज नामित थे।
जगद्गुरू शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने मंगलवार को चल रहे आराधना महोत्सव के दौरान बताया कि इनके पूर्व ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य के नाम पद पर विराजमान स्वामी शांतानंद सरस्वती ने अपने जीवन काल में ही विष्णुदेवानंद जी महाराज को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए विद्वानों, दंडी स्वामियों, दशनामी अखाड़ों के प्रतिनिधियों ज्योतिष्पीठ के संतों के समक्ष 28 फरवरी 1980 को शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर नाम पद पर अभिविक्त कर दिया। विषम सामाजिक एवं थोपी गई कानूनी आपदाओं के बीच वैदिक सनातन धर्म का प्रचार प्रसार व विस्तार किया। 31 अक्टूबर गोस्वामी जी के ब्रह्मलीन होने के पश्चात उनके वसीयत के आधार पर मैं श्रीमज्योतीष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य के नाम पर पूर्व ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी शांतानंद सरस्वती जी महाराज ने नियम व परम्परा के अनुसार 14-15 नवम्बर को मुझे पीठासीन कर दिया।
श्रीमद् भागवत महापुराण कथा सुनाते हुए विख्यात विद्वान संत स्वामी श्रावणनंद सरस्वती ने बताया कि भगवान कृष्ण आनंद स्वरूप है। आनंद प्रधान है। कृष्ण जी को दुलार से ’लाल’ भी कहा जाता हैं। व्यास जी ने कहा कि हमारे जीवन में संस्कार ही प्रमुख हैं। सन्यास लेने व छोड़ने का भी संस्कार व कर्मकांड होता है। आराधना महोत्सव के प्रथम चरण में प्रातः 5 बजे से गीता जयंती कार्यक्रम के अंतर्गत विद्वत विप्रजन द्वारा गीता की पूजा एवं पाठ किया गया। कार्यक्रम में दंडी स्वामी विनोदानंद, पूर्व प्राचार्य शिवार्चन उपाध्याय, ब्रह्मचारी आत्मानंद, ब्रह्मचारी विशुद्धानंद, आचार्य विपिन मिश्र, आचार्य अभिषेक, आचार्य जयराम शुक्ला, स्वामी अदैतानंद, जयपुर से सीताराम शर्मा, दिल्ली से राजेश एवं पंजाब से राजेश आदि ने पूजा आरती व संयोजन में विशेष रूप से भाग लिया।
श्रीमज्योतिष्पीठ प्रवक्ता ओंकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि 15 दिसम्बर को त्रिवेणी बांध स्थित प्राचीन श्री राम जानकी मंदिर का वार्षिक पाटोत्सव 11 बजे श्रीमद् भागवतपुराण कथा अपरान्ह 2 बजे तथा यज्ञात्मक रुद्राभिषेक सायं 7 बजे होगा।