महाधिवक्ता कार्यालय में लगी आग मामले में प्रमुख सचिव न्याय तलब
कोर्ट ने पूछा, जली फाइलों के पुनर्निर्माण के क्या कदम उठाए

प्रयागराज, 04 अगस्त । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय को 5 अगस्त को तलब किया है। पूछा है कि दो हफ्ते पहले महाधिवक्ता कार्यालय में आग से जले रिकार्ड का पुनर्निर्माण के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय से पूछा है कि सरकारी केसों की फाइलें कोर्ट में न होने से सुनवाई रूकने की जवाबदेही किसकी है।
कोर्ट ने कहा कि सरकारी रिकार्ड जलने के कारण किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अनदेखी कर अभियुक्त को जेल में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सरकार पर अभिरक्षा में रखी फाइलों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी होती है। रिकॉर्ड उपलब्ध न होने के कारण केस की सुनवाई नहीं हो पा रही है। कोर्ट ने दो हफ्ते तक अवसर दिया। सरकारी वकील जिम्मेदारी निभा रहे हैं, किंतु फाइलों का पुनर्निर्माण नहीं किया जा रहा। जिससे सरकारी वकील असहाय हैं। वे कोर्ट को सहयोग नहीं कर पा रहे हैं और सुनवाई टल रही है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने देवकी उर्फ सोनू उर्फ देवकी शरण शर्मा की जमानत अर्जी पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण आग लगने के कारण सरकारी फाइलें जल गई। सरकारी वकील के अनुरोध पर सुनवाई दो हफ्ते तक टाली गई। मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं हो रही है। सरकार के सहयोग के बगैर जमानत अर्जी की सुनवाई नहीं हो पा रही है। केस की सुनवाई हो सके, सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई।
राज्य पर फाइल की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। याची की गलती नहीं है, उस पर दोष नहीं मढ़ सकते। केस फाइल नहीं है, तो सरकार इसके लिए जिम्मेदार है। फाइल सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सरकार की है। सरकारी अकर्मण्यता के कारण किसी को जेल में नहीं रखा जा सकता।