काशी में मोरारी बापू का सूतक में कथा वाचन: संतों और श्रद्धालुओं में आक्रोश

काशी में मोरारी बापू का सूतक में कथा वाचन: संतों और श्रद्धालुओं में आक्रोश

काशी में मोरारी बापू का सूतक में कथा वाचन: संतों और श्रद्धालुओं में आक्रोश

वाराणसी, 15 जून। प्रसिद्ध कथावाचक और आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू इन दिनों काशी में रामकथा सुना रहे हैं, लेकिन उनकी इस कथा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विवाद का कारण है उनकी पत्नी नर्मदाबा का चार दिन पहले हुआ निधन। पत्नी के निधन के बाद सनातन धर्म में सूतक माना जाता है, जिसमें धार्मिक कार्यों से परहेज किया जाता है। आरोप है कि मोरारी बापू सूतक काल में ही काशी विश्वनाथ के दर्शन करने पहुंचे और कथा वाचन कर रहे हैं, जिससे काशी के संत और धर्मगुरु नाराज हैं, साथ ही सोशल मीडिया पर भी लोग विरोध जता रहे हैं।

विरोध करने वाले संतों का कहना है कि सूतक काल में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान वर्जित होते हैं, लेकिन मोरारी बापू ने इस परंपरा का उल्लंघन किया है। संतों के विरोध को देखते हुए मोरारी बापू ने सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में अपनी रामकथा के बाद मंच से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि यदि उनके काशी विश्वनाथ के दर्शन करने से किसी को ठेस पहुंची है तो वे क्षमा चाहते हैं, लेकिन वे कथा कहना जारी रखेंगे। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि वे वैष्णव परंपरा का पालन करते हैं और वैष्णव साधुओं पर सूतक के नियम लागू नहीं होते। वे क्रिया और उत्तर क्रिया जैसी रस्मों में विश्वास नहीं करते। उनके लिए भगवान का भजन और कथा वाचन सुकूनदायक है, सूतक नहीं।

काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे दर्शन करके आए हैं। मोरारी बापू के इस बयान के बाद संत समुदाय लगातार उन पर निशाना साध रहा है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सूतक काल में कथा करना अशुभ और अनुचित है। धर्म की मर्यादा से ऊपर उठकर धन की कामना करना निंदनीय है और धर्म को धंधा नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने मोरारी बापू से स्पष्टीकरण मांगा कि वे किस श्रेणी में आते हैं - ब्रह्मचारी, ब्रह्मनिष्ठ या राजा - जिन पर सूतक लागू नहीं होता। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या वे संन्यासी हैं और उन्होंने जीवित रहते हुए अपना पिंडदान किया है। स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा कि यह सब समाज को भ्रमित करने जैसा है।

काशी सुमेरूपीठ के पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने भी मोरारी बापू के बयान पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सूतक काल में रामकथा कहना अनर्थकारी, शास्त्र विरुद्ध और कालनेमी के समान है। सूतक काल में मोरारी बापू को न तो मंदिर में जाना चाहिए था और न ही देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श करना चाहिए था। उन्होंने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की पवित्रता भंग की है और उन्हें इसका प्रायश्चित करना चाहिए।

शनिवार देर शाम युवाओं ने गोदौलिया चौराहे पर मोरारी बापू का प्रतीकात्मक पुतला जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।

गौरतलब है कि मोरारी बापू की पत्नी नर्मदाबा का बुधवार को गुजरात के भावनगर जिले के तलगाजरडा गांव में निधन हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोरारी बापू से फोन पर बात कर शोक व्यक्त किया था। पत्नी के निधन के तीन दिन बाद ही मोरारी बापू काशी में राम कथा सुनाने आए हैं, जिसको लेकर लोगों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि मोरारी बापू सूतक काल में ही वाराणसी आए हैं। सनातन धर्म में परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु के बाद कुछ दिनों तक धार्मिक कार्यों को वर्जित माना जाता है। सनातन परंपरा के अनुसार, इस दौरान मंदिर जाना, पूजा करना और कथा कहना वर्जित होता है। लोगों का आरोप है कि मोरारी बापू इस सनातनी परंपरा का उल्लंघन कर रहे हैं।